अल्मोड़ा: नौकरी नहीं अब युवाओं को स्वरोजगार पसंद आ रहा है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि उत्तराखंड के युवाओं में हुनर की कोई कमी नहीं है। अब युवा खुद पर भरोसा करते हुए रोजगार खोज रहे हैं। अच्छी बात यह है कि युवा अपने साथ और भी कई लोगों को रोजगार से जोड़ रहे हैं। अल्मोड़ा के कमल पांडे ने भी अपनी दोस्त नमिता टम्टा के साथ मिलकर यही किया है। आइटी सेक्टर में अच्छे पैकेज की नौकरी छोड़ दोनों मशरूम उत्पादन से आय कमा रहे हैं।
बता दें कि अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी ब्लाक के छोटे से गांव ढौरा के मूल निवासी कमल पांडे ने अपनी मित्र फाइन आर्ट्स की छात्रा थानाबाजार निवासी नमिता टम्टा के साथ साल 2020 लॉकडाउन के समय प्लान बनाया था। जिसके तहत दोनों अब रेशीय औषधि मशरूम का उत्पादन कर अपने साथ काश्तकार और महिलाओं को भी रोजगार दे रहे हैं। गौरतलब है कि 10 साल आइटी सेक्टर में नौकरी करने के बाद कमल ने ज्योलिकोट में तीन दिवसीय मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया।
इस ओर रुचि बढ़ी तो अल्मोड़ा के पपरसली में लीज में रहकर मशरूम उत्पादन का ट्रायल किया। कमल और नमिता ने मशरूम की चाय समेत बटन मशरूम आदि के लिए कार्य किया और उसी साल बाबा एग्रोटेक से स्टार्टअप शुरू कर पहली बार मशरूम उत्पादन कर तीन टन कंपोस्ट तैयार किया। तब दो-तीन महीने के अंदर उन्होंने एक लाख से ज्यादा रुपए कमाए।
कमल ने कहा कि शुरुआती समय में मशरूम नहीं बिकने पर बाबा इंडिया आर्गेनिक बायो के नाम से यूनिट बनाई। अब टीम द्वारा 10 टन कंपोस्ट लगाई जा रही है और मशरूम का अचार-चटनी, मेडिशनल मशरूम की चाय आदि तैयार किए जा रहे हैं। बता दें कि उत्तराखंड नहीं बल्कि उनका मशरूम महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा आदि समेत कई राज्यों में पहुंच रहा है। गौरतलब है कि रेशीय मशरूम को 10 हजार से 50 हजार रुपये प्रति किलो के दाम से बेचा जा रहा है।
वहीं, आपको बता दें कि कमल पांडे और नमिता टम्टा के स्टार्टअप द्वारा 300 काश्तकारों के साथ 30 से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार मिल सका है। इतना ही नहीं दोनों पंतनगर विश्वविद्यालय के कृषि के छात्र-छात्राओं को तीन माह का इंटर्नशिप भी करा रहे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया गया है। वाकई, कमल और नमिता जैसे युवा ही आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में प्रेरणादायक काम कर रहे हैं।