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मां-बेटी की जोड़ी ने कमाल कर दिया, तीन लाख से शुरू किया व्यापार अब 20 करोड़ पार

नई दिल्ली: कहावतें भी कहानियों से बनती हैं। अब अंग्रेजी की एक कहावत, “Age is just a number” यानी “उम्र केवल एक संख्या मात्र है” के पीछे निश्चित तौर पर कोई ना कोई कहानी तो ज़रूर रही होगी। फिर इस कहावत को समय समय पर और भी कई सारी कहानियों ने सिद्ध किया होगा। अपनी बेटी के साथ आज 20 करोड़ से भी अधिक के टर्नओवर वाला काम कर रही पूनम रावल की कहानी भी इसी श्रेणी में आती है।

दिल्ली की निवासी 45 वर्षीय पूनम रावल और उनकी बेटी का बिजनेस “हाउस ऑफ चिकनकारी” आज ना केवल उन्हें बल्कि टीम के कुल 500 लोगों को रोजगार प्रदान करने का माध्यम बना है। मगर मां-बेटी की कहानी भी संघर्ष से जुड़ी है। एक तरफ मां, जो जिम्मेदारियों की वजह से पहले अपने सपने साकार नहीं कर सकी थी। दूसरी तरफ बेटी, जिसे विदेश से पढ़ाई कर भारत लौटने के बाद कई ताने सहने पड़े थे। दोनों से हम आज आपको रूबरू कराने जा रहे हैं।

इंसान कम समय में वो सब कुछ हासिल कर सकता है, जिसे पाने में पूरी जिंदगी लगती है। इसका उदाहरण हैं मां-बेटी कम बिजनेस पार्टनर्स पूनम रावल और आकृति रावल। पूनम बताती हैं कि, शादी के बाद वो दिल्ली के ही एक कॉरपोरेट ऑफिस में मार्केटिंग असिस्टेंट के तौर जॉब करती थी। बेटी के जन्म के कुछ समय तक तो सबकुछ सही चला। मगर फिर अंत में जिम्मेदारियों की वजह से नौकरी छोड़नी पड़ी।

बच्चे बड़े होने के बाद नौकरी पाने की कोशिश में भी पूनम कई बार असफल रहीं। हालांकि, पूनम ने इस दौरान ब्यूटी ट्रीटमेंट और स्टिचिंग से जुड़े क्रैश कोर्स भी किए। वहीं, पूनम की बेटी आकृति दिल्ली से स्कूलिंग खत्म करने के बाद लंदन चली गई। चार साल वहां मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद जब वापस भारत लौटी तो मार्केटिंग मैनेजर के तौर पर एक स्टार्टअप कंपनी के साथ काम शुरू हुआ मगर लोगों के ताने भी शुरू हो गए।

लोगों का कहना था कि लंदन जाकर लड़की ने पैसा बर्बाद किया है। कोरोना काल की शुरुआत में कंपनी घाटे में गई तो आकृति ने नौकरी छोड़ दी। आकृति बताती हैं कि, “इस दौरान भी उन्होंने बैठे रहने के बजाए ऑनलाइन कोर्सेस किए और अपने मन का काम करने का ठान लिया था। मां को फैब्रिक और अलग-अलग डिजाइन्स की जानकारी थी। वो अक्सर अपने आइडियाज यूज कर के अपने और मेरे लिए कुर्ते डिजाइन करती।”

एक दिन काम के लिए पूनम रावल के पास टेलर का कॉल आया जो हमेशा उनके लिए स्टिचिंग और एम्ब्रायडरी का काम करते थे। वहीं से आकृति को आइडिया सूझा और बेटी ने हैंड वर्क को लेकर जानकारी इकट्ठा की। आकृति को मम्मी के वार्डरोब में ‘चिकनकारी वर्क’ वाले कई कुर्ते दिखे तो मां ने बताया ये 2500 का है, लेकिन मार्केट में 1500 तक में हल्के वर्क वाले कुर्ते भी मिलते हैं। अब तक आकृति ने इसे ही ब्रांड बनाने का निर्णय ले लिया था।

बहुत सारे होमवर्क करने के बाद साल 2020 में ‘हाउस ऑफ चिकनकारी’ की नींव रखी गई। आकृति और पूनम इतने जुझारू थे कि दोनों लखनऊ गए ताकि वे समझ पाएं कि खुद को कारीगरों से कैसे जोड़ा जा सकता हैं और चिकनकारी में क्या नए प्रयोग किए जा सकते हैं। जो कुर्ते टेस्टिंग के लिए लाए, उन्हें इंस्टाग्राम पेज के माध्यम से तुरंत ही लोगों ने खरीद लिया। घर से जुड़े लोग, कर्मचारी भी हाथ बंटाने लगे और देखते ही देखते काम और टीम बढ़ती गई।

आकृति का कहना है कि इस बिजनेस को स्टार्ट करने में मैंने और मम्मी ने सारी जमा पूंजी लगा दी। उन्होंने परिवार और बैंक से और पैसे नहीं लेने का प्रण लिया था। जब काम बढ़ा तो मुनाफा बढ़ा तो पूनम के पति ने भी पैसे लगाने शुरू कर दिए। 2022 की शुरुआत में बिजनेस का टर्नओवर करीब 3.3 करोड़ तक पहुंच गया था। शार्क टैंक इंडिया शो में जाने के बाद शार्क पीयूष बंसल और अमन चोपड़ा टीम के साथ जुड़ गए।

बता दें कि आज की तारीख में सारा अली खान, श्रद्धा कपूर, रकुलप्रीत सिंह जैसी बॉलीवुड एक्ट्रेसेस भी इस ब्रांड के कुर्ते पहनती हैं। हाउस ऑफ चिकनकारी से फिलहाल करीब 5000 चिकनकारी कलाकार जुड़े हैं। पूनम और आकृति का एक उद्देश्य रोजगार को बढ़ावा देना भी है। दोनों कहते हैं कि, हमारी कोशिश है कि हम ज्यादा से ज्यादा कारीगरों से जोड़े ताकि कढ़ाई की इस कला को बढ़ावा मिले और कारीगर के हुनर को पहचान मिले। हमारी तरफ से दोनों को और पूरी टीम को ढेरों शुभकामनाएं।

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