नैनीताल: कोरोना ने कुछ लोगों से सांसे ही छीन ली तो कुछ लोगों के पास से सांस लेने की वजह ही छीन ली। रोजी रोटी के संकट ने अनगिनत परिवारों को परेशानी में डाला है। नैनीताल के जो प्रवासी बाहर शहरों में गए थे, वे यहां लौट आए लेकिन क्या करें, इसका किसी को अंदाजा नहीं है। ऐसे में दुग्ध संघ की ओर से इन प्रवासियों को बड़ा मौका मिलने जा रहा है।
जी हां, दुग्ध संघ द्वारा एक योजना शुरू की जा रही है जिसके तहत नैनीताल जिले के गांवों में वापस लौटे प्रवासियों को डेयरी उत्पादन केंद्र से जोड़ा जाएगा। इसके लिए बकायदा काम भी शुरू कर दिया गया है। लिहाजा अगर ऐसा होता है तो कई परिवारों के घरों में दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त होना आसान हो जाएगा।
नैनीताल दुग्ध संघ, लालकुआं के अध्यक्ष मुकेश बोरा ने जानकारी दी और बताया कि प्रवासियों के लिए रोजगार खोजना जरूरी है। दुग्ध उत्पादन कार्य एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। डेयरी व पशुपालन विभाग के सहयोग से इस काम में अच्छी आय हो सकती है। इसके मद्देनजर नैनीताल दुग्ध संघ ने कुल 35 नई दुग्ध समितियां खोलने की योजना तैयार की है।
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बता दें की इस योजना के लिए डेयरी विकास मंत्री रेखा आर्य ने भी वर्चुअल बैठक के दौरान निर्देश दिए हैं। नैनीताल दुग्ध संघ अध्यक्ष मुकेश बोरा ने गांवों की लिस्ट बताई। जिसमें देवीधुरा से सटे ढोलीगांव, कैड़ागांव, सुनकोट, जोस्यूड़ा, बारीकटना अथवा रीठा साहिब से लगे अमजड, मिडार, सुआकोट, पोखरी, पदमपुरी, अधोड़ा, डुंगरी आदि सीमांत क्षेत्र और चोरगलिया के पास के हरीशताल, गोनियारो, ल्वाडड़ोबा, चकडोबा आदि गांव शामिल हैं। इसके अलावा बेतालघाट के छूटे हुए क्षेत्रों में भी समितियां स्थापित की जानी हैं।
बता दें की पिछले साल भी लॉकडाउन के चलते बड़े शहरों जैसे महाराष्ट्र व दिल्ली से नैनीताल कई प्रवासी लौटे थे। तब भी कमाई पर खासा असर पड़ा था। अब इस बार फिर सभी को आजीविका छोड़कर वापस आना पड़ा। ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच अब परदेसी गांव में ही रोजगार की तलाश में लगे हुए हैं। जिसके लिए दुग्ध संघ द्वारा योजना बनाई गई है।
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