नई दिल्ली: कोरोना महामारी के वजह से देश को काफी आर्थिक चोट पहुंची है। इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने सोमवार को बड़ा फैसला लिया है। इस तहत प्रधानमंत्री से लेकर मंत्रियों और सांसदों के वेतन में एक साल के लिए 30 फीसदी की कटौती होगी। साथ ही, सांसद निधि को दो साल के लिए निलंबित करने का भी फैसला लिया गया है। सरकार के मुताबिक, इसकी पेशकश प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सांसदों ने खुद कोरोना संकट के मद्देनजर की थी, जिसके बाद कैबिनेट ने इस निर्णय पर मुहर लगाई।
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने बताया कि सांसदों के वेतन में 30 फीसदी की कटौती के संदर्भ में अध्यादेश को मंजूरी दी गई है। ये कटौती एक अप्रैल, 2020 से लागू होगी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और कई राज्यों के राज्यपालों ने भी स्वेच्छा से वेतन में 30 फीसदी में कटौती के लिए पत्र लिखा है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सांसदों ने खुद अपने सामाजिक उत्तरदायित्व की पेशकश की थी। इसके मद्देनजर सांसदों के वेतन में एक साल के लिए 30 फीसदी की कटौती का निर्णय हुआ। जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सांसदों ने एक साल के लिए वेतन का 30 फीसदी नहीं लेने का निर्णय खुद लिया। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि सांसदों के भत्ते में कटौती होगी अथवा नहीं।
मंत्री के मुताबिक, सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन से जुड़ा कानून है, इसलिए अध्यादेश का निर्णय हुआ और संसद के आगामी सत्र के दौरान कानून में संसोधन वाले इस अध्यादेश पर संसद की मंजूरी ली जाएगी।बता दें कि मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई।
जावड़ेकर ने कहा, ‘ कैबिनेट ने देश भर में Covid-19 के प्रभाव को कम करने और स्वास्थ्य प्रबंधन को मजबूत करने के लिए 2020-21 और 2021-22 के दौरान सांसद निधि के अस्थायी निलंबन को मंजूरी दी।’ जावड़ेकर ने कहा कि वेतन में कटौती और सांसद निधि के निलंबन के रूप लिए गए दोनों निर्णय कोरोना के खिलाफ केंद्र एवं राज्य सरकारों की लड़ाई को नयी दिशा देने वाले और महत्वपूर्ण साबित होंगे।