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नैनीताल का खलाड़ गांव जहां नही मिला है कोरोना केस, अपने काम से बनाई अपनी पहचान


नैनीताल: राज्य में कोरोना वायरस के प्रकोप से शायद ही कोई क्षेत्र बच पाया। दूसरी लहर ने उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों को भी प्रभावित किया। दुर्गम गांव में भी कोरोना वायरस के मामले सामने आए लेकिन एक गांव ऐसा भी है जिसने सख्त नियमों से कोरोना वायरस की एंट्री रोके रखी। नैनीताल जिले के बेतालघाट ब्लॉक का खलाड़ गांव में कोरोना वायरस का एक भी मामला सामने नहीं आया। गांव की पंचायत ने अलग एसओपी बनाई और ऐसा करने वाला ये पहला गांव रहा। मुख्य सड़क से करीब चार किमी दूर स्थित इस गांव की बात पूरे राज्य में हो रही है। इस गांव की प्रधान नीरु बधानी की समझ और ग्रामीणों के सहयोग से ऐसा हो पाया।

गांव की गाइडलाइन पर नजर डाले तो बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को कोविड निगेटिव रिपोर्ट लानी अनिवार्य थी। उन्हें गांव से बाहर बने भवन में 14 दिन रहने को कहा गया। उनके भोजन पानी जिम्मेदारी संबंधित परिवार को दी गई। भीड़ से नाता तोड़ने के लिए गांव में ही उगने वाली सब्जी और फलों का अधिक प्रयोग किया गया। हर घर में बुखार दवा रखने और बाहर से आने वाला हर सामान धोने का नियम बनाया गया।

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ग्राम पंचायत अधिकारी पीतांबर आर्य का कहना है कि इस बीमारी के बारे में ग्रामीणों को जागरूक किया गया। इस बीमारी से बड़े-बूढ़ों के साथ बच्चों और मवेशियों को भी खतरा है और उन्हें बचाने के लिए सख्त नियमों का पालन अनिवार्य था। खलाड़ के ग्रामीण अपनी उगाई सब्जियां ही खाते हैं। जब बाकीगांव के लोग कोरेाना से जूझ रहे थे तो खलाड़ के लोग अपनी जागरूकता के बीच सब्जी उत्पादन बढ़ा रहे थे।


वहीं प्रधान नीरु का कहना है कि सितंबर 2020 में नया नियम बनाया गया। गांव में बिना कोरोना रिपोर्ट के एंट्री नहीं होगी। ग्राम प्रहरियों और वार्ड सदस्यों को जिम्मेदारी भी दी गई है। गांवों में कोविड की निगरानी राजस्व उपनरीक्षक भी कर रहे हैं। यहां के राजस्व उपनिरीक्षक विजय नेगी के अनुसार गांववालों ने खुद के प्रयास से यहां काफी अच्छी व्यवस्था बनाई, जिसके नतीजे पूरा राज्य देख रहा है।


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