Uttarakhand News

डराने वाले हैं ये आंकड़े, कुमाऊं में हर रोज हो रहा है एक Suicide

डराने वाले हैं ये आंकड़े, कुमाऊं में हर रोज हो रहा है एक Suicide

हल्द्वानी: आत्महत्या कोई विकल्प नहीं है। सुसाइड कभी भी अपनी परेशानी से बाहर निकलने का रास्ता नहीं हो सकता। ये बातें जानते हुए भी आज के समाज में खुदकुशी के इतने मामले सामने आ रहे हैं। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के मौके पर पुलिस द्वारा निकाले गए आंकड़ों के मुताबिक कुमाऊं में रोजाना औसतन एक व्यक्ति सुसाइड कर रहा है।

वाकई, ये आंकड़े डरावने हैं। आप अपने आसपास ही देख लीजिए। शहर को छान लीजिए। कुमाऊं में और खासकर नैनीताल जिले में बीते महीनों में ऐसे मामले लगातार बढ़े हैं। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार 2021 में अबतक कुमाऊं (छह जिलों) के 254 लोग आतमहत्या कर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर चुके हैं।

आंकड़ों पर गौर करें तो बीते आठ महीनों में 172 लोग ऐसे हैं जिन्होंने फांसी के फंदे पर झूल कर जिंदगी खत्म की है। करीब 42 लोगों ने पारिवारिक कलह के कारण ये कदम उठाया है। 62 ने जहर खाकर, नौ ने नदी में कूदकर, सात ने मानसिक व सामाजिक उत्पीडऩ के चलते आत्महत्या की है।

इसके अलावा लॉकडाउन के कारण भी लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर खासा असर पड़ा। उस कारण भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं। आत्महत्या के उक्त मामलों में 230 बालिग और 24 नाबालिग हैं। 63 बालिग खुदकुशी के मामलों के साथ ऊधमसिंह नगर सबसे ऊपर तो वहीं बागेश्वर नौ केस के साथ सबसे नीचे है। अच्छी खबर ये है कि पिथौरागढ़ व चम्पावत में किसी भी नाबालिग ने आत्महत्या नहीं की।

हल्द्वानी में भी मामले तेज गति से बढ़े हैं। हाल ही में 19 अगस्त को भोटियापड़ाव पुलिस चौकी में तैनात सिपाही दिलीप बोरा ने मेडिकल चौकी बैरक में फांसी लगा ली तो वहीं सात अगस्त को हल्द्वानी अग्निशमन विभाग में तैनात सिपाही मुकेश जोशी ने अपने घर में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। दोनों में पारिवारिक कलह के कारण परेशानी कॉमन तौर पर सामने आई थी।

मनोचिकित्सकों की मानें तो डिप्रेशन इन मामलों का सबसे बड़ा कारण है। हर किसी को जागरुक रहने की जरूरत है। युवा पीढ़ी बातें साझा करने में झिझक महसूस करती है तो उनके साथ संवाद स्थापित करना चाहिए। मानसिक तनाव बातें करने से पता चल सकता है। लोगों को ये बात समझनी होगी की जीवन अनमोल है। डॉक्टर्स कहते हैं कि खानपान से लेकर व्यायाम, मेडिटेशन भी बहुत जरूरी है।

मेंटल हेल्थ के स्टेट नोडल ऑफिसर और डीआइजी कुमाऊं डा. नीलेश भरणे के मुताबिक आत्महत्या के लगातार बढ़ रहे मामलों को रोकने के लिए वेबिनार, कार्यशालाएं, काउंसलिंग की जा रही है। 104 नंबर भी है, जिसके जरिये सीधे बात की जा सकती है। पर्सनल काउंसलिंग के लिए भी बुलाया जाता है। जागरूकता के लिए अभियान को और तेज किया जाएगा।

To Top