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मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने की तैयारी


Aadhaar-Voter ID Linking: भारत में आधार और मतदाता पहचान पत्र (EPIC) को जोड़ने की चुनाव आयोग (Election Commission of India) की योजना कानूनी और राजनीतिक विवादों में घिरती जा रही है। हालांकि, आयोग ने 2023 तक 66.23 करोड़ आधार नंबर एकत्र कर लिए थे, लेकिन अब इस योजना के सफल कार्यान्वयन पर सवाल उठ रहे हैं। अदालतों में दी गई प्रतिबद्धताओं से लेकर संभावित कानूनी संशोधनों तक, इस योजना के विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार किया जा रहा है।

क्यों जरूरी है Aadhaar-EPIC लिंकिंग?

चुनाव आयोग का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची से डुप्लिकेट और फर्जी प्रविष्टियों को हटाना है। इसके अलावा, इससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्वच्छता लाने की उम्मीद है। हालांकि, इस योजना को लागू करने के लिए आयोग को कानूनी, राजनीतिक और तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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क्या होगा 66.23 करोड़ एकत्रित आधार नंबर का?

2023 तक चुनाव आयोग ने 66.23 करोड़ आधार नंबर एकत्र कर लिए थे। लेकिन अब, जब इस डेटा को EPIC से जोड़ने की योजना बनाई जा रही है, तो कानूनी बाधाओं के कारण यह प्रक्रिया अटक सकती है। क्या चुनाव आयोग इस डेटा का उपयोग कर पाएगा या इसे रद्द करना पड़ेगा?

Privacy और Legal Challenges

जब भी आधार को EPIC से जोड़ने की बात आती है, तो निजता और संवैधानिक अधिकारों को लेकर बहस तेज हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि किसी भी अनिवार्य आधार लिंकिंग से पहले यह “आवश्यकता” और “आनुपातिकता” के परीक्षण से गुजरना चाहिए। यदि यह प्रक्रिया नागरिकों की गोपनीयता का उल्लंघन करती है, तो अदालत इसे असंवैधानिक करार दे सकती है।

क्या Aadhaar Linking अनिवार्य होगी?

इस मुद्दे पर एक बड़ा सवाल यह है कि क्या आधार और EPIC को जोड़ना अनिवार्य होगा। 2023 में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के जवाब में चुनाव आयोग ने कहा था कि “आधार नंबर देना अनिवार्य नहीं है।” हालांकि, अब आयोग इस पर विचार कर रहा है कि क्या एक कानूनी संशोधन लाकर इसे अनिवार्य बनाया जा सकता है।

कानूनी संशोधन की संभावना

अगर चुनाव आयोग आधार और EPIC को जोड़ने के लिए कानूनी संशोधन लाता है, तो गोपनीयता, मौलिक अधिकारों और वंचित वर्गों के लिए जोखिम को लेकर बड़ी बहस हो सकती है। यह मुद्दा राजनीतिक और कानूनी विवादों का कारण बन सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि आधार लिंकिंग को लागू करने से पहले इसे संविधान के अनुरूप परखा जाना चाहिए। अगर यह प्रक्रिया निजता के उल्लंघन का कारण बनती है, तो सुप्रीम कोर्ट इसे असंवैधानिक घोषित कर सकता है। इसलिए, चुनाव आयोग को इस मामले में सावधानीपूर्वक कदम उठाने की जरूरत होगी।

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