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उत्तराखंड में काम करने की चाह,भारतीय कृषि अनुसंधान के प्रमुख सब्जी विज्ञानी ने किया आवेदन


चंपावत: उत्तराखंड अपने ही लोगों की कमी झेल रहा है यानी पलायन की समस्या हालांकि कोरोना काल ने इस सोच को भी बदला है। पहाड़ के लोग अपने घर पर रहकर स्वरोजगार के अवसर खोज रहे हैं। देवभूमि उत्तराखंड में रहने का सपना करोड़ों लोग देखते हैं। अब युवा पीढ़ी तो पहाड़ों में अपना काम भी शुरू कर रही है।

इनमें दूसरे राज्यों के मूल निवासी भी हैं। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ निवासी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली (पूसा) के प्रमुख सब्जी विज्ञानी डॉ. एके सिंह ने उत्तराखंड में रहकर काम करने का आवेदन किया है। वह ऐसा करके उन लोगों की सोच बदलना चाहते हैं जो पहाड़ों में कम संसाधन होने का बहाना बनाकर वहां नौकरी से करने से बचते हैं।

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डॉ. एके सिंह वर्ष 2004 से 2010 तक कृषि विज्ञान केंद्र लोहाघाट में सब्जी वैज्ञानिक के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्होंने जिले को लोगों को सब्जी की खेती अहम जानकारियां दी। उनके परिश्रम का नतीजा ही रहा कि क्षेत्र में पहली बार पालीहाउस, पालीटनल, मल्चिंग एवं टपक सिंचाई पद्धति शुरू हुई। साल वर्ष 2010 में डॉ. एके सिंह का प्रमोशन पूसा के लिए हो गया। वह दस साल पूसा संस्थान में रहे।

पूसा संस्थान में कार्य करने के बाद भी डॉ. सिंह आइसीआर द्वारा संचालित एनएआइपी-2 योजना के जरिए यहां के किसानों से लगातार जुड़े रहे। अब उन्होंने कृषि विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र सुई (लोहाघाट)में आकर सेवा देने की इच्छा जताई है। वह केंद्र पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किया जाता है। उत्तराखंड वापस लौटने के संबंध में उन्होंने उच्चाधिकारियों को आवेदन दे दिया है।

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इस बारे में डॉ. सिंह का कहना है कि चम्पावत जिले के किसानों में उन्होंने उत्साह देखा है। उनके पास कृषि को वैज्ञानिक तरीके से बदलने की सोच है।वह कुछ नया करना चाहते हैं और इसलिए उन्होंने वहां वापस जाने के लिए आवेदन किया है। जिले के प्रगतिशील काश्तकार कहते हैं कि डॉ. एके सिंह की कार्यप्रणाली उन्होंने देखी है। उनके आने से किसानों की दोगुनी आय होने का सपना भी साकार हो सकता है।

वह मानते हैं कि पर्वतीय क्षेत्र में वैज्ञानिक तरीके से सब्जी उत्पादन की काफी संभावनाएं हैं। यहां के लोग मेहनत करने से पीछे नहीं हटते हैं। डॉक्टर सिंह पूसा में पहाड़ के काश्तकारों से मिले अनुभव को अपने साथी विज्ञानियों के साथ भी साझा करते हैं। मैंने पूसा के अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर एक बार फिर कृषि विज्ञान केंद्र लोहाघाट भेजने की मांग की है। मौका मिलेगा तो मैं जरूर यहां सब्जी उत्पादन को नई दिशा देने का प्रयास करूंगा।

साल 2009 में राज्य के कृषि मंत्री रहे वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत विज्ञान केंद्र लोहाघाट पहुंचे थे। उन्होंने डॉ. एके सिंह के कार्यो की सराहना की थी। उन्होंने डॉ. सिंह अपनाई जा रही बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन की तकनीकी को अन्य जिलों में भी लागू करवाने का आश्वासन दिया था।

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