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फ्लाइट से रोज ऑफिस जाने वाली रशेल कौर हुई वायरल, बच्चों के लिए उठाया ये कदम


नई दिल्ली: मलेशिया में रहने वाली भारतीय मूल की महिला रशेल कौर इन दिनों सोशल मीडिया पर सुर्खियों में हैं। उन्हें “सुपर यात्री” कहा जा रहा है, क्योंकि वह रोज़ फ्लाइट से अपने ऑफिस जाती हैं। उनके इस अजीबोगरीब सफर के पीछे की वजह और उसकी कहानी जानकर लोग हैरान हैं, साथ ही उनकी तारीफ भी कर रहे हैं।

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फ्लाइट से सफर करने का फायदा

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रशेल कौर एयर एशिया के फाइनेंस ऑपरेशन डिपार्टमेंट में असिस्टेंट मैनेजर हैं। वह मलेशिया से सिंगापुर तक रोज़ फ्लाइट का सफर तय करती हैं। पहले उनके सफर पर महीने का खर्च लगभग 474 डॉलर (करीब ₹42,000) था, लेकिन अब यह घटकर 316 डॉलर (करीब ₹28,000) हो गया है। इससे न केवल उनका खर्च कम हुआ, बल्कि परिवार के साथ अधिक समय बिताने का अवसर भी मिला।

कैसे होती है एक दिन की शुरुआत

रशेल का दिन बेहद जल्दी शुरू होता है। उनका अलार्म सुबह 4 बजे बजता है, और फिर वह 5 बजे एयरपोर्ट के लिए निकलती हैं। 5:55 की फ्लाइट पकड़ने के बाद, वह लगभग 7:45 बजे सिंगापुर स्थित अपने ऑफिस पहुंचती हैं। दिनभर काम करने के बाद, वह रात 8 बजे मलेशिया लौट आती हैं।

फ्लाइट का समय उनके लिए खास है

रशेल के लिए फ्लाइट का सफर सिर्फ यात्रा नहीं, बल्कि खुद के साथ समय बिताने का एक मौका है। वह इसे ‘मी टाइम’ मानती हैं, जिसमें वह संगीत सुनती हैं, सोचती हैं और प्रकृति का आनंद लेती हैं। फ्लाइट से उतरने के बाद, वह 5-7 मिनट पैदल चलकर ऑफिस पहुंच जाती हैं।

बच्चों के साथ समय बिताने का निर्णय

रशेल की दो बेटियां हैं, जिनकी उम्र 12 और 11 साल है। पहले वह क्वालालंपुर में ऑफिस के पास एक महंगे किराए के घर में रहती थीं। इस कारण वह हफ्ते में सिर्फ एक बार घर जा पाती थीं, और बच्चों से दूर रहने की वजह से उन्हें यह परेशानी होती थी। इसलिए उन्होंने यह तय किया कि वह रोज़ फ्लाइट से ऑफिस जाएंगी, ताकि अपने बच्चों के साथ अधिक समय बिता सकें।

सहजता और आलोचनाओं का सामना

रशेल को एयर एशिया की कर्मचारी होने के कारण फ्लाइट टिकट पर भारी छूट मिलती है, जिससे उनका सफर और भी किफायती हो जाता है। इस अनोखी यात्रा शैली को लेकर कुछ लोग उनकी कड़ी मेहनत और संतुलन की सराहना करते हैं, जबकि कुछ लोग यह देखकर हैरान रह जाते हैं कि कोई व्यक्ति रोज़ फ्लाइट से यात्रा कर सकता है। रशेल कौर की यात्रा इस बात का उदाहरण है कि सही योजना और समर्पण से लंबी दूरी को भी आसान बनाया जा सकता है। उनके लिए परिवार सबसे पहले है, और इस यात्रा ने यह साबित कर दिया कि अगर लक्ष्य सही हो, तो कोई भी मुश्किल आसान बन सकती है।

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