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हल्द्वानी: सिर से उठा माता-पिता का साया,शहीद के बेटे रजत जोशी ने किया चाचा-चाची का नाम रौशन


हल्द्वानी: बहुत गौरवशाली होते हैं वे युवा जो देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर देते हैं। बहुत मज़बूत होते हैं वो माता-पिता जो अपने बच्चों को सेना में भेजते हैं या उनका साथ देते हैं। अपने बच्चों को सेना में भेजने के लिए माता पिता को अग्निपरीक्षा से गुज़रना होता है। अगर पिता भी सेना में रह कर देश के लिए शहीद हुए हों तो यह अग्निपरीक्षा बेटे के लिए भी बढ़ जाती है। पिता को तिरंगे में लिपटे देख सेना में जाने का सपना देखना और उस सपने को पूरा करना, वाकई प्रसन्न और इंस्पायर कर देने वाली कहानी है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है कोटाबाग के रजत मोहन जोशी ने।

कोटाबाग के चांदपुर के रहने वाले रजत मोहन जोशी देहरादून में हुई पासिंग आउट परेड में कमीशन प्राप्त कर सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। आइएमए की परेड में उन्हें टेक्निकल कोर में सिकंदराबाद में कमीशन प्राप्त हुआ है। इस सफलता के बाद जब वे अपने घर पहुंचे तो सब तरफ जश्न का माहौल था।

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रजत मोहन जोशी को सेना में जाने का सपना तभी से आ गया था, जब उन्होंने अपने पिता को सेना की वर्दी में देखा था। रजत के पिता सीआरपीएफ में थे। 2002 में डोडा किश्तवाड़ में तैनाती के दौरान वे शहीद हो गए थे। जिसके बाद रजत की माता गीता भी तनाव व डिप्रेशन में आ गई थी। जिसके चलते पिता के जाने के एक साल के अंदर उनकी माता का भी निधन हो गया। इस समय रजत मात्र नौ साल के थे।

रजत का पालन पोषण करने की ज़िम्मेदारी उनके चाचा महेश चंद्र जोशी और चाची सरोज जोसी ने उठाई। अब रजत के सेना में लेफ्टिनेंट बनने से घर परिवार और इलाके में बहुत खुसी का माहौल है। रजत को बधाई और शुभकामनाएं मिल रही हैं। लिहाज़ा रजत मोहन जोशी ने अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने दादा केशव दत्त जोशी, दादी जीवंती जोशी, चाचा महेश जोशी, चाचा लक्ष्मण जोशी और चाची सरोज जोशी को दिया है।

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