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क्या आपको पता है… कैसे होता है राज्यसभा सांसद का चयन

Rajya Sabha Election Explained: How Rajya Sabha MPs Are Elected: Total Seats in Rajya Sabha:

भारतीय लोकतंत्र पूरे विश्व को शासन और जन प्रतिनिधित्व की महत्ता स्पष्ट रूप से समझाने में सक्षम है। लोकसभा चुनाव में जहाँ जन सामान्य अपना प्रतिनिधि स्वयं चुनते हैं तो वहीं संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में सांसदों का निर्वाचन जन प्रतिनिधि करते हैं। राज्यों में हर 5 साल में होने वाले विधानसभा चुनाव में जनता को अपना प्रतिनिधि चुनकर उन्हें विधानसभा में भेजने का अवसर मिलता है। विधानसभा में जन प्रतिनिधित्व करने वाले यह सभी विधायक भारतीय संसद के ऊपरी सदन में राज्यसभा सांसदों के निर्वाचन में अहम् भूमिका निभाते हैं। राज्यसभा के सांसदों का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है और हर दो वर्षों में एक तिहाई सांसदों की सेवानिवृत्ति भी होती है।

संविधान की चौथी अनुसूची राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राज्यसभा में सीटों के आवंटन का प्रावधान करती है। राज्यों को राज्यसभा की सीटों का आवंटन प्रत्येक राज्य की जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। राज्यों के पुनर्गठन और नए राज्यों के गठन के परिणामस्वरूप, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवंटित राज्यसभा सीटों की संख्या 1952 से समय-समय पर बदलती रही है।

भारत की राज्यसभा की वर्त्तमान क्षमता 250 सांसदों की हैं। भारतीय संविधान के आर्टिकल 80 के तहत राज्यसभा की 250 सीटों में से 238 पर सांसदों को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं द्वारा खुले मतपत्रों (Open Ballot) के माध्यम से एकल हस्तांतरणीय मतों का उपयोग करके निर्वाचित किया जाता है जबकि राष्ट्रपति के पास कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवा में योगदान के लिए 12 सदस्यों की नियुक्ति करने का अधिकार होता है।

राज्यसभा के सांसद का निर्वाचन विधायकों के एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है। सभी विद्यायकों को मतदान के लिए विधानसभा में उपस्थित होना अनिवार्य होता है साथ ही अपने दल के राज्यसभा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने के स्पष्ट निर्देश भी सम्बंधित दलों से उन्हें प्राप्त होते हैं। सभी विधायक अपनी पसंद के उम्मीदवारों के लिए क्रमशः मतदान करते हैं यानी सभी विधायकों को राज्यसभा के सांसद प्रत्याशियों की सूची प्रदान की जाती है।

इस सूची में अगर कोई उम्मीदवार किसी विधायक की पहली पसंद है तो विधायक उसके नाम के आगे 1 लिखकर उसे अपना पहला वोट देते हैं इसी तरह अगर कोई उम्मीदवार उनकी दूसरी पसंद है तो 2 और फिर 3। राज्यसभा सांसदों के निर्वाचन के लिए दो चरणों में वोटों की गिनती होती है। पहले चरण में उन उम्मीदवारों के वोटों की गिनती होती है जिन्हें विधायकों ने पहली पसंद के रूप में चुना होता है। दूसरे चरण में विधायकों की दूसरी पसंद वाले उम्मीदवारों के वोटों की गिनती होती है पर दूसरे चरण में अगर किसी उम्मीदवार को कोटा (न्यूनतम आवश्यक वोट) प्राप्त नहीं होते तो उसके हिस्से के भी सभी वोट उस सीट के दूसरे पसंदीदा उम्मीदवार को हस्तांतरण (ट्रांसफर) कर दिए जाते हैं।

कोटा (न्यूनतम आवश्यक वोट) कैसे निर्धारित किए जाते हैं?

अगर कोई राजनीतिक दल सत्ता में है तो भी उसके विधायक के वोट का मूल्य उतना ही होगा जितना विपक्ष के विधायक के वोट का। कोटा के लिए वोटों की संख्या को रिक्त पदों की संख्या से एक अधिक अंक के साथ भाग दिए जाने पर प्राप्त संख्या में एक अंक और जोड़ा जाता है वही कोटा (न्यूनतम आवश्यक वोट) होता है।

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