नैनीतालः बहुचर्चित समाज कल्याण छात्रवृत्ति घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। उत्तराखंड के नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई दौरान इस केस में नए तथ्य सामने आ रहे हैं। कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की अगुवाई वाली पीठ ने इसे गंभीरता से लिया है। और अब माना जा रहा है कि पीठ इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जा सकती है।
सोमवार को मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की ओर से अदालत में छात्रवृत्ति घोटाले मामले में प्रति शपथपत्र पेश किया गया। याचिकाकर्ता रवीन्द्र जुगरान के अधिवक्ता एमसी पंत ने बताया कि युगलपीठ ने मुख्य सचिव की ओर से पेश जवाब को काफी गंभीरता से लिया है। मुख्य सचिव की ओर से पेश जवाब में कहा गया है कि घोटाले के तार अन्य राज्यों से भी जुड़े हैं। पंत ने कहा कि मुख्य सचिव की ओर से पेश 190 पृष्ठ के जवाब में कहा गया कि छात्रवृत्ति घोटाले के तार 6 अन्य राज्यों से जुड़े हैं। इस तथ्य को अदालत ने काफी गंभीरता से लिया और सरकार से पूछा कि क्यों न इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाए?
पंत ने बताया कि सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले की जांच पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) कर रही है और एसआईटी इस मामले की जांच अच्छी तरीके से कर रही है। उन्होंने बताया कि सरकार के इस जवाब से अदालत संतुष्ट नहीं हुई। हालांकि अदालत ने इस मामले में आज कोई आदेश पारित नहीं किया लेकिन इसे गंभीरता से लिया है और इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि पीठ इस मामले की जांच सीबीआई को न सौंप दे। मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।
बता दें कि राज्य के समाज कल्याण घोटाले को लेकर उत्तराखंड आंदोलकारी परिषद के पूर्व अध्यक्ष रवीन्द्र जुगरान की ओर से उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि 2003 से 2016 के मध्य छात्रवृत्ति घोटाले का अंजाम दिया गया है। लगभग 500 करोड़ रुपए का यह घोटाला हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले में अंजाम दिया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से मांग की गई है कि इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। सरकार की ओर से इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई थी। अभी भी इस मामले की जांच एसआईटी की ओर से की जा रही है।