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नई दिल्ली: स्टार्टअप की दुनिया पहले से कहीं ज्यादा बड़ी हो गई है। खासकर आत्मनिर्भर भारत के नारे के बाद अपना काम शुरू करने की होड़ हर किसी में लगी हुई है। हालांकि, दो दशक पहले हालात ये नहीं थे। उस समय किसी ने नौकरी छोड़ी तो उसे पागल कहा जाता था। एक ऐसा ही रिस्क उस युवा ने भी लिया था, जो आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई कर के आया था। शशांक कुमार ने नौकरी छोड़ किसानों की मदद करने का जो फैसला साल 2012 में किया था, आज वो फैसला कई किसानों के लिए संजीवनी साबित हुआ है। शशांक की कंपनी “देहात” आज 4000 करोड़ की हो गई है।
आपको बता दें कि ये कहानी मूल रूप से बिहार के छपरा के निवासी शशांक कुमार की है। पिता नेशनल इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में कर्मी और माता एक स्कूल टीचर…हालांकि शशांक का परिवार खेती से जुड़ा हुआ था। पढ़ाई में मेधावी शशांक ने साल 2008 में दिल्ली आईआईटी से टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में बीटेक कर माता पिता को बड़ी राहत दी। बाद में उन्होंंने दिल्ली आईआईटी के मैनेजमेंट स्टडीज डिपार्टमेंट से माइनर एमबीए भी किया। शशांक इसके बाद नौकरी करने लगे मगर ढाई साल के बाद यानी 2011 में शशांक ने नौकरी छोड़ दी।
उनका मन हमेशा से कुछ अपना करने का था। आईआईटी खड़गपुर के अपने एक दोस्त मनीष कुमार के साथ मिलकर एक नॉन प्रॉफिट फाउंडेशन फर्म एंड फार्मर्स शुरू करने का निर्णय लिया। इसके बाद साल 2012 में दोनों ने सोशल एंटरप्राइज ग्रीन एग्रीवोल्यूशन की स्थापना की और DEHAAT की शुरूआत कर दी। देहात के सह संस्थापक और चीफ एग्जीक्यूटिव 37 वर्षीय शशांक बताते हैं कि किसान समुदाय से होने के कारण, मुझे किसानों के सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में अच्छे से जानकारी थी। इसकी भी मदद मिली।
शशांक और उनकी टीम के आगे किसानों को समझाने की चुनौती सबसे बड़ी थी। मगर हर चुनौती को पार करते हुए शशांक आज एक सफल उद्यमी बन गए हैं। आज देहात कंपनी करीब 4000 करोड़ की है और उनके पास 162 मिलियन डॉलर की फंडिंग है। इसे भारत का सबसे बड़ा एग्रीकल्चर स्टार्टअप माना जाता है। बता दें कि देहात (DeHaat) एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो छोटे किसानों को ऐसे लघु उद्यमियों के एक नेटवर्क से जोड़ता है जो विभिन्न तरह के कृषि इनपुट जैसे बीज, उर्वरक और यहां तक कि उपकरण उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा फसल और बाजार से संबंधित सलाह भी देते हैं।
गौरतलब है कि देहात से लगभग 650000 किसानों को सर्विसेज मिल रही हैं। किसानों से 3-4 किमी के दायरे में देहात के अपने सर्विस केंद्र हैं। जहां पर किसानों की परेशानी हल की जाती हैं। उल्लेखनीय है कि एक समय में लोग किसानी, खेती को हताशा की नजरों से देखने लगे थे। सभी को लगता था कि किसानी केवल मजबूरी में की जाती है। लेकिन शशांक जैसे युवा ही आज खेती पर भऱोसा बनाए हुए हैं। किसानों के लिए यह शानदार प्लेटफॉर्म बनाकर शशांक ने एक क्रांति लाने का काम किया है। हमारी तरफ से उन्हें ढेरों शुभकामनाएं।
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