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देहरादून: भारतीय क्रिकेट इतिहास में कुछ ही ऐसे प्लेयर होते है जिनका नाम इतिहास के उन पन्नों पर लिखा होता है जो कभी नहीं मिट सकता। इस स्थान पर केवल उसी का नाम रहेगा। जहां पर कोई पहुंचने का सपना भी नहीं देख सकता। भारतीय क्रिकेट में मनीष पांडे का रुतबा कुछ इस तरह का है। उत्तराखण्ड बागेश्वर से निकला ये सितारा 2009 में दुनिया की नजर में आया। मनीष ने आईपीएल के दूसरे सीजन (2009) में शतक लगाया और वो टी-20 भारत की ओर से ऐसा करने वाले पहले बल्लेबाज बन गए। उसे पहले किसू भी भारतीय ने टी-20 में शतक नहीं लगाया था। शतक लगाने के बाद खिलाड़ी सोचता है कि वो जल्द नेशनल टीम में जगह बना लेगा लेकिन मनीष के साथ जो हुआ उसने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया। मनीष पांडे ने 9 साल बाद अपने दर्द को बयां किया जिसे सुनकर हर क्रिकेट प्रेमी भावुक हुआ है।
आईपीएल सीजन में 11 के लिए हैदराबाद ने उन्हें अपनी टीम में 11 करोड़ रुपए में खरीदा। अपने बुरे दौर के बारे में बताते हुए मनीष ने कहा कि साल 2009-2010 के बाद मैं सोच रहा था कि मैं भारत के लिए जल्द खेलूंगा। आईपीएल के बाद मेरे लिए फस्ट क्लास सीजन शानदार रहा था। मै भारतीय टीम में चयन होने के लिए बेताब था। लेकिन कई बार नतीजे आपके पक्ष में नहीं होते हैं। टीम मे चयन ना होने से मुझे बुरा लगता था लेकिन मैने अपने आप को समझा लिया था कि ये जिंगगी का हिस्सा है। पांडे को भारतीय में खेलने का असवर साल 2015 के जिंबावे दौरे में मिला। उसके बाद से भारतीय टीम के नियमित सदस्य है। इसके अलावा साल 2016 ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी वनडे में उनके शतक ने फैंस को बता दिया कि भारतीय टीम को मैच विनर मिल गया। पांडे भारत के लिए कई अच्छी पारी खेल चुके है। उसके अलावा उनकी फिटनेस के बारे में भी हर कोई बात करता है। उन्होंने साल 2014 में आईपीएल फाइनल में 90 रनों की पारी कोलकता को दूसरी बार चैंपियन बनाया था।
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