हल्द्वानी: विधानसभा चुनावों का रण अफसर चुका है सभी टीमों ने अपनी अपनी तैयारियों को अंतिम धार देनी शुरू कर दी है। किस सीट से कौन प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरेगा यह भी अब साफ हो गया है। हल्द्वानी विधानसभा सीट पर चुनाव दिलचस्प होने जा रहे हैं। यहां और कुछ तो नहीं मगर बदले का रण सज चुका है। बता दें इस सीट पर अब तक कई प्रत्याशियों ने अपना नामांकन दाखिल किया है। जिसमें कांग्रेस से सुमित हृदयेश और भाजपा से जोगिंदर रौतेला का नाम भी शामिल है।
गौरतलब है कि जोगिंदर रौतेला बनाम हृदयेश का मुकाबला नया नहीं है। आपने और हमने साल 2017 से यह लड़ाई देखी है। इसमें अब तक मुकाबला बराबरी का रहा है। कांटे की टक्कर में इस बार जोगिंदर पाल सिंह रौतेला और सुमित हृदेश आमने-सामने हैं। बता दें जहां सुमित हृदयेश एक बार जोगिंदर पाल सिंह रौतेला से हार चुके हैं। वहीं जोगिंदर रौतेला को भी एक बार हल्द्वानी की विधायक स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश से हार का सामना करना पड़ा है।
साल 2017 के विधानसभा चुनावों में हल्द्वानी सीट से कांग्रेस ने विधायिका स्वर्गीय डॉक्टर इंदिरा हृदयेश को टिकट दिया था। इस बार भाजपा ने यहां से मेयर जोगिंदर पाल सिंह रौतेला को मैदान पर उतारा थाm बता दें इन चुनावों में इंदिरा हृदयेश 43786 वोट लाकर क्षेत्र की विधायक बन गई थी। उन्होंने 37229 वोट लाने वाले भाजपा के जोगिंदर पाल सिंह रौतेला को 6557 वोटों के अच्छे खासे मार्जिन से चुनाव हराया था।
गौरतलब है कि मोदी लहर के बावजूद भी इंदिरा हृदयेश ने आसानी से जोगिंदर पाल सिंह रौतेला को चुनाव हरा दिया था। लेकिन इसके बाद जोगिंदर पाल सिंह रौतेला को बदला लेने का मौका मिला। उन्होंने साल 2018 में स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश के पुत्र सुमित हृदयेश को मेयर के चुनावों में हराकर हिसाब किताब बराबर कर लिया। जी हां, साल 2018 में हल्द्वानी में निकाय चुनाव हुए थे।
इन चुनावों में जोगिंदर रौतेला को 10854 वोटों के बड़े मार्जिन से जीत मिली थी। जहां जोगिंदर रौतेला को 64793 वोट मिले थे। तो वहीं सुमित हृदयेश को 53939 वोट मिले थे। इस बार फिर हल्द्वानी में बदले का रण सज चुका है। हल्द्वानी से इस बार जोगिंदर पाल सिंह रौतेला व सुमित हृदयेश एक बार फिर आमने-सामने हैं।
जोगिंदर रौतेला के सामने जहां 2017 विधानसभा चुनावों में स्वर्गीय डॉक्टर इंदिरा हृदयेश से मिली हार का बदला लेने का मौका है। तो सुमित हृदयेश के पास 2018 के निकाय चुनाव का हिसाब किताब बराबर करने का अवसर है। 14 फरवरी को उत्तराखंड की सभी 70 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस बार किसके सिर पर हल्द्वानी का ताज सजाती है।