पिथौरागढ़, Story of Babita Samant: पहाड़ के लोगों में सदा सर्वदा से कुछ अलग करने की इच्छा रही है। इसी का परिणाम है कि “आत्मनिर्भर भारत” के नारे को आज हमारे पहाड़ के युवा, यहां की महिलाएं जोरों से आगे बढ़ा रहे हैं। अब पिथौरागढ़ के कनालीछीना ब्लॉक के एक गांव की बबीता सामंत (Pithoragarh Babita Samant) ने गुलाब के फूल की खेती से अपना और परिवार का जीवन बदल दिया है। आज बबीता की कमाई लाखों में हो रही है।
अक्सर कहा जाता है कि, संकल्प और इच्छा शक्ति सही हो तो मंजिल मिल ही जाती है। पिथौरागढ़ में कनालीछीना ब्लॉक के पसामा गांव की रहने वाली बबीता सामंत आज अगर प्रदेश भर के युवाओं, महिलाओं की प्रेरणा का कारण बनी हैं तो इसके पीछे उनकी मेहनत और इच्छा शक्ति ही है। बबीता सामंत ने अपने पति के सहयोग और अपने हौसले से आज गुलाब की ऐसी खेती (Babita Samant Rose Farming) की है कि हर कोई उनकी ही बात कर रहा है।
आपको बता दें कि बबीता सामंत के पति महेंद्र सामंत मर्चेंट नेवी में बतौर कैप्टन (Babita Samant Husband Help) तैनात हैं। चूंकि महेंद्र सामंत का बचपन गांव में ही बीता तो दोनों की इच्छा थी कि यहां के बंजर खेतों को गुलजार करना चाहिए। काम मुश्किल बहुत था लेकिन बबीता के पास सहयोग की कमी नहीं थी। बबीता ने मन पक्का कर अपने चचेरे भाई कमलेश के साथ खेतों में सबसे पहले अदरक लगाया।
इस खेती के कुछ समय बाद ही अदरक से 50 हजार रुपए की कमाई होने लगी। बबीता को विचार आया तो उन्होंने सीढ़ी की तरह बने खेतों में गुलाब की खेती करनी भी शुरू कर दी। इस काम में समय तो लगना ही था। अब पहले पावर ट्रिलर से खेतों की जुताई की गई और फिर डेढ़ दूर डांगटी गांव के स्त्रोत से पाइप लाइन (Babita Samant worked tirelessly for Farms) के जरिए पानी पहुंचाया गया।
बबीता इस काम में सहयोग का श्रेय राजेंद्र लाल , पसमा के बसंत सामंत, डांगती के ध्यान सिंह पोखरिया और बसंती पोखरिया को देती हैं। बता दें कि एक हेक्टेयर जमीन पर बुल्गारियन दमिस्क प्रजाति के गुलाब (Rose farming Uttarakhand self employment) खिले हैं। संगध पौधा केंद्र (सीएपी) सेलाकुई के सहयोग से गुलाब के तीन हजार पौधे लगाए गए हैं। विशेषता यह है कि दमिस्क गुलाब की पंखुडियां 1500 से 1800 रुपये किलो तक बिकती हैं।
ताज्जुब कहें या हैरानी कहें, मगर इसके तेल का समर्थन मूल्य प्रति किलो साढ़े पांच लाख रुपये तक है। गौरतलब है कि एक किलो तेल के लिए 40 से 50 क्विंटल तक फूलों की जरूरत होती है। बबीता सामंत ने एमएसएमई में दि हिमालयन हार्वेस्ट नाम (The Himalayan Harvest Babita Samant) से गुलाब जल का रजिस्ट्रेशन भी कराया हुआ है। सगंध पौधा केंद्र के जिला प्रभारी विजय प्रसाद वमोला बताते हैं कि यहां गुलाब जल का मिनी आसवन संयंत्र स्थापित किए जाने का प्लान है।