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हल्द्वानी की वेंदाती जोशी से मिलिए, कथक नृत्य के क्षेत्र में हासिल किए कई राष्ट्रीय पुरस्कार

Haldwani: Vedanti Joshi Story: पढ़ाई और खेल ही नहीं, उत्तराखंड के युवा कला के क्षेत्र में कमाल कर रहे हैं। कला से जुड़े तमाम क्षेत्रों में युवाओं ने अपनी पहचान बनाई है। आज के खेल में हम नृत्यांगना वेदांती जोशी के बारे में बताएंगे। हल्द्वानी निवासी वेदांती जोशी ने कथक नृत्य से पहचान स्थापित की है। वेदांती जोशी को अपनी शानदार प्रस्तुति के चलते कई अवॉर्ड भी मिल चुके हैं।

जानकारी के मुताबिक, वेंदाती जोशी मूल रूप से अल्मोड़ा जिले की रहने वाली है। उन्होंने अपनी शिक्षा सेंट मैरी कॉन्वेंट नैनीताल व हल्द्वानी के सेंट टेरेसा, निर्मला कॉन्वेंट से हासिल की है। उन्हें उत्तराखंड की बेटी सम्मान , हरियाणा से संगीत पुरुषोत्तम अवार्ड, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से किशोर संगीत कला शिरोमणी अवॉर्ड मिल चुका है। इसके अलावा वेदांती जोशी देश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर एकल प्रस्तुति कर चुकी हैं। इस लिस्ट में तमिलनाडु, दिल्ली , आंध्र प्रदेश , अल्मोड़ा, नैनीताल , हल्द्वानी, रामनगर, लखनऊ, गाजियाबाद और इलाहाबाद शामिल हैं। उनकी कथक नृत्य की प्रस्तुतियां दूरदर्शन में प्रसारित होती रहती हैं। इन्होंने कई राष्ट्रीय सम्मेलनों में अपने प्रतिभाग किया है।

वेदांती ने चार वर्ष की आयु से अपनी मां कथक नृत्यांगना डॉ. दीपा जोशी से गुरु शिष्य परंपरा के तहत कथक की शिक्षा ली। पहला मंचीय प्रदर्शन 7 वर्ष की आयु में रामनगर में भातखंडे जयंती पर किया। वर्ष 2014 में 11 वर्ष की आयु में इन्हें संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सीसीआरटी के माध्यम से मिलने वाली छात्रवृत्ति के लिए चयनित किया गया। वर्ष 2017 में इनके नृत्य का अवलोकन कर भारत सरकार की चयन समिति ने पुन: इस छात्रवृत्ति को आगामी वर्षों के लिए बढ़ा दिया।   

वेदांती जोशी चाहती हैं कि कथक सीखने के लिए बच्चों को सीसीआरटी, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार कई तरह की छात्रवृत्तियां (स्कॉलरशिप) देता है जिसका लाभ हमारे क्षेत्र के बच्चों को लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा इस क्षेत्र में भी करियर बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज जब संपूर्ण विश्व भारत की देख रहा है। यहां की संस्कृति की चर्चा है तो हमें इस पर गर्व करते हुए इसे आत्मसात करना चाहिए। 

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