हल्द्वानी: कोरोना संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन में कई लोगों की नौकरी चली है। साथ ही पलायन कर चुके युवा अपने गांव की ओर फिर से लौट आए। गांव लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने की मंशा से सरकार ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना द्वारा लोगों को फायदा पहुंचाना चाहा। लेकिन बैंकों के जटिल व्यवहार के कारण लोग ज़यादा कास रुचि नहीं दिखा सके।
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का लक्ष्य 150 से बढ़ाकर 250 कर दिया। बावजूद इसके नैनीताल जिले में अभी तक महज 59 फीसदी लक्ष्य पूरा हुआ है। वहीं महाप्रबंधक उद्योग विपिन कुमार के अनुसार एमएसवाई के 95 प्रतिशत आवेदन बैंक जा चुके हैं। 13 प्रवासियों समेत 147 युवाओं को लोन वितरित हो गया है। आवेदन जल्द निस्तारित कराने को बैंकों से संपर्क कर रहे हैं।
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बता दें बैंकों की उदासीनता, नियमों की उलझन और सहयोगी विभागों के असहयोग से 46 प्रतिशत आवेदन लंबित पड़े हैं। लोन के लिए चक्कर काटकर थक चुके कई युवा उद्योग लगाने की इच्छा छोड़ चुके हैं। दरअसल प्रदेश में बैंकों की कागज़ी कार्यवाही इतनी ज़्यादा है कि आम आदमी चक्कर लगाने से भी घबरा जाता है। आधुनिक ज़माने की बाग दौड़ में भला कैसे कोई बैंक कर्मियों के बुलाने पर रोज़ के रोज़ अपने पांव की चप्पलों को घिसे। इसके बाद बैंको पर भी काफी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।
इधर लीड बैंक के प्रबंधक एमएस जंगपांगी ने बताया कि कई आवेदक अनलॉक के बाद दोबारा बाहर नौकरी को लौट गए। जिसके चलते लंबित आंकड़ा अधिक दिख रहा है। एसएसवाई के तहत लोन बांटने में नैनीताल प्रदेश में तीसरे स्थान पर है।
ऐसे में अगर बैंकों का यही व्यवहार निकट भविष्य में जारी रहा तो सरकार द्वारा बैंक से जुड़ी सभी योजनाओं को मुंह की खानी पड़ेगी। जिससे सरकार और आम आदमी दोनों को ही नुकसान होगा। देखना यह होगा सरकार इस मामले को किस तरह से संज्ञान में लेती है।
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