रुद्रप्रयाग: दुनिया भर में लॉकडाउन के चलते सभी स्कूलों को भी बंद कर दिया गया है। भारत के स्कूलों में मार्च में परीक्षाएं हो जाती हैं और अप्रैल में फिर ने नयी कक्षाएं शुरू हो जाती हैं। लेकिन स्कूल बंद होने के चलते ऑनलाइन और इंटरनेट कनेक्टिविटी ठीक नहीं होने के चलते बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाई है। लेकिन यह हर जगह कारगर सिद्ध नहीं हो पाया। वहीं उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में नेट कनेक्टिविटी नहीं होने से यहां बच्चे पढ़ाई से दूर ही थे। ऐसे में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय सेमी-भैंसारी में तैनात शिक्षिका रचना रावत ने गांव जाकर ही बच्चों को पढ़ाने की ठान ली है। जिसके बाद उनके इस प्रयास की अधिकारियों सहित अभिभावकों व अन्य शिक्षकों ने भुरी भुरी प्रशंसा की।
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शिक्षिका की इस मुहिम का छात्र-छात्राओं में सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। बच्चे नियमित रूप से पढ़ने के लिए उपस्थित हो रहे हैं। अभिभावक महानंद नौटियाल, देवेश्वरी देवी, सरोजनी देवी, विजय सिंह, प्रर्मिला देवी का कहना है कि शिक्षिका के प्रयास से छात्र-छात्राएं पढ़ाई के प्रति गंभीर हो गए हैं। केदारघाटी के राजूहा सेमी-भैंसारी में तैनात गणित-विज्ञान विषय की शिक्षिका रचना रावत ने गांव जाकर ही बच्चों को पढ़ाने की सोची। वह सप्ताह में तीन दिन सेमी और तीन दिन भैंसारी गांव जाकर कक्षा छह से आठवीं तक के छात्र-छात्राओं को गणित, विज्ञान और अंग्रेजी पढ़ा रही हैं। इसके साथ ही कोविड के नियमों का भी ध्यान रखा जा रहा है।
बता दें कि लॉकडाउन के चलते शिक्षक-शिक्षिकाओं की ओर से छात्र-छात्राओं को नियमित रूप से ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है, लेकिन यह व्यवस्था कई जगहों पर इंटरनेट कनेक्टिविटी के बाधित होने से कारगर नहीं हो पा रही है। शिक्षिका ने बताया कि वीडियो के माध्यम से ऑनलाइन पढ़ाई कराई गई, लेकिन बच्चों को समझने में दिक्कत हो रही थी। इसलिए मैंने गांव में जाकर बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया है, जिसके अभी तक अच्छे परिणाम भी मिले हैं।
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