देहरादून: शिक्षक और शिष्य का रिश्ता खास होता है। शिक्षक नौकरी की वजह से ना जाने कितने स्कूलों में सेवा देते हो लेकिन उनका कार्य सैकड़ों बच्चों का भविष्य भी बना देता है। कई कितना भी भी बोले लेकिन बिना शिक्षक से बच्चे के भविष्य की रचना नहीं हो सकती है। बीते कुछ सालों में स्मार्ट लर्निंग नाम का शब्द खूब चला है। पहाड़ों में भले ही संसाधनों की कमी हो लेकिन कुछ शिक्षकों ने कमाल का काम किया है और उनके शिष्य किसी महानगरों में पढ़ने वाले बच्चे से कम नहीं हैं।
सीमांत विकासखंड जोशीमठ के जूनियर हाईस्कूल सलूड़ डुंग्रा विद्यालय के गणित व विज्ञान शिक्षक राजेश थपलियाल ने भी कुछ इसी तरह का काम अपने स्कूल में किया था। साल 2015 में इस स्कूल में पहुंचे राजेश थपलियाल ने बच्चों के अलावा अभिभावकों की सोच को भी बदला। साल 2015 में स्कूल में कुल 61 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत थे और अब बच्चों की संख्या 94 हो गई है। स्कूल में शिक्षक नहीं होने की वजह से अभिभावक बच्चों का दाखिला स्कूल में नहीं कर रहे थे।
वर्ष 2015 में इस विद्यालय में आए शिक्षक राजेश थपलियाल का सात साल बाद पदोन्नति के चलते तबादला हो गया है और इसके बारे में पता चलने पर छात्र फूट-फूटकर रो पड़े। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। शिक्षक राजेश थपलियाल ने अपनी सोच से बच्चों और अभिभावकों के साथ एक गहरा संबंध बना लिया था। कई लोगों ने अपने बच्चों को निजी स्कूल से निकालकर शिक्षक राजेश थपलियाल के पास पढ़ने के लिए भेजा। हालांकि अभिभावकों को शिक्षक राजेश थपलियाल के चले जाने के बाद स्कूल में दोबारा विज्ञान और गणित का शिक्षक न होने से बच्चों की पढ़ाई में होने वाले नुकसान का डल सता रहा है। उन्होंने स्कूल में शिक्षक की तैनाती की मांग की है। शिक्षक दिवस के तुरंत बाद सामने आए इस वीडियो ने कई देखने वालों को भी भावुक कर दिया है।