देहरादून: महंगाई अपनी सभी सीमाओं को लांघ चुकी है। ये कहना गलत नहीं होगा कि डीजल-पेट्रोल के बढ़ने से यातायात पर खासा असर पड़ने लगा है। जहां असर नहीं पड़ा है, वहां पर जल्द ही पड़ने वाला है। इतने महंगे सफऱ काफी नहीं थे कि अब उत्तराखंड में लगभग सभी तरह के सार्वजनिक व व्यावसायिक यातायात वाहनों से सफर महंगा होने जा रहा है।
जी हां, आज से तकरीबन दस दिन के अंदर राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) की बैठक है, जिसमें इसपर मुहर लगेगी। बता दें कि पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने से ट्रांसपोर्ट कारोबारियों को नुकसान हो रहा है। इन्हीं की मांग पर और सरकार के निर्देश पर परिवहन आयुक्त ने आरटीओ देहरादून की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था।
इस समिति ने किराया बढ़ोतरी का प्रस्ताव परिवहन मुख्यालय भेज दिया है। जिसपर आने वाली 23 अक्टूबर की बैठक में फैसला होगा। इस बैठक में रोडवेज की बसों, विभिन्न रूटों पर चलने वाली निजी बसों, टैक्सी, मैक्सी, ई-रिक्शा का किराया बढ़ाने की सिफारिश पर विचार किया जाएगा। दूसरी ओर, एंबुलेंस और ट्रकों का भाड़ा बढ़ाने पर भी फैसला लिया जा सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये लगभग तय माना जा रहा है कि अब प्रदेश में बस, टैक्सी से लेकर ई-रिक्शा तक का सफऱ महंगा हो जाएगा। इसके पीछे डीजल-पेट्रोल के बढ़ते रेट ही एक बड़ा कारण हैं। माना जा रहा है कि किराया डीजल के दाम, वाहनों का मेंटिनेंस, लोन, प्रमाणपत्रों का खर्च, टायरों का खर्च, स्पेयर पार्ट्स के दाम आदि को देखते हुए तय किया जाएगा।
बैठक में मुख्य रूप से रोडवेज की बसों टैक्सी-मैक्सी, निजी बसों, ई-रिक्शा व एंबुलेंस का किराया बढ़ाया जाएगा। साथ ही आपको बता दें कि विभिन्न रूटों पर बस संचालन के अलावा रूटों के परमिट पर फैसला तथा सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में निर्णय भी इसी बैठक में लिया जाएगा।