हल्द्वानी: प्रदेश में बच्चों को अपराधी ना बनने देने के लिए बाल आयोग और पुलिस द्वारा सोची गई रणनीति ने उड़ान भर ली है। प्रदेश के सभी जिलों में बाल थाना खोले जाने के लिए बाल आयोग को बजट जारी हो गया है। सभी जिलों को 13 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं। बता दें कि उत्तराखंड में कुछ दिनों पहले ही सीएम ने देहरादून में पहले बालमित्र थाने का उद्घाटन किया था।
बालमित्र थाने में ऐसे बच्चों को सुधारा जाएगा जो अपराध की दुनिया में कदम बढ़ा रहे हैं। सुधारने के तरीके में मुख्य रूप से काउंसलिंग शामिल रहेगी। कुमाऊं व गढ़वाल मंडल के सभी जिले पूरी तरह से बालमित्र थानों के लिए तैयारी कर रहे हैं। अब इसके लिए शासन द्वारा बाल संरक्षण आयोग को बजट भी जारी कर दिया गया है। बता दें कि यह बेहतरीन योजना बाल संरक्षण आयोग का ही आइडिया था। जिसके तहत अब हर जिले के मुख्यालय स्थित थाना के परिसर में ही बालमित्र थाना स्थापित होगा। बकायदा पुलिस के अधिकारी नोडल अधिकारी के तौर पर रोजाना मॉनिटरिंग भी करेंगे।
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बाल संरक्षण आयोग देहरादून की अध्यक्ष उषा नेगी ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देहरादून में पहला बाल मित्र थाना शुरू हो चुका है। मुख्यमंत्री द्वारा इस योजना पर खासा ध्यान दिया जा रहा है। बताया कि तेरह लाख रुपये बजट भी स्वीकृत कर दिया गया है। प्रत्येक बालमित्र थाने को एक लाख रुपए से स्थापित कर एक नई शुरुआत की जाएगी। बता दें कि बाल संरक्षण आयोग, चाइल्ड हेल्पलाइन व विधि प्राधिकरण के सदस्यों की भी इसमें तैनाती होगी।
देखा जाए तो उत्तराखंड में नशे का करोबार आसमान छू रहा है। क्या बड़े, क्या बच्चे, हर कोई नशा करते पाया जा रहा है। कुछ इस तरह के और अन्य अपराध करने वाले नाबालिकों को अब बालमित्र पुलिस थानों की मदद से सुधारा जाएगा। बता दें कि दिखने में भवन को बेहतर बनाया जाएगा, जिससे बच्चे दबाव में ना आएं। ताकि दबाव मुक्त होकर अपनी बातें पुलिस के साथ साझा कर सकें।
अब चूंकि बजट मिल गया है। तो लाज़मी है कि कार्य में और भी तेज़ी आ जाएगी। जानकारी के अनुसार बजट से थाना परिसर में बने भवन को विशेष लुक दिया जाएगा। कम पड़ने पर बाल संरक्षण आयोग बजट की और व्यवस्था करेगा।
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