हल्द्वानी: प्रदेश का परिवहन निगम एक तीर से दो निशाने करने की फिराक में है। दरअसल उत्तराखंड में जल्द ही बसों का संचालन सीएनजी द्वारा शुरू किया जा सकता है। बताया जा रहा है मुख्य फोकस दिल्ली रूट पर रहेगा। एक तीर से दो निशाने इस तरह से कि घाटे में चल रहे रोडवेज को डीजल खर्च से भी चपत नहीं लगेगी और साथ ही प्रदूषण पर भी नियंत्रण हो सकेगा।
आरटीओ राजीव मेहरा की माने तो परिवहन निगम द्वारा बसों को सीएनजी से चलाने में कोई दिक्कत नही आएगी। चूंकि यह सरकारी उपक्रम है, इसलिए परिवहन विभाग से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। सरकार ही इसका फैसला लेगी। आपको बता दें कि अगर ऐसा होता है तो पुरानी ठीक बसों में डीजल की जगह सीएनजी किट लगाई जाएंगी। साथ ही रोडवेज को हल्द्वानी और देहरादून दो जगहों पर सीएनजी पंप खोलने की जरूरत भी पड़ेगी।
बहरहाल मुख्यालय स्तर पर अब इस और चर्चाएं तेज हो गई हैं। आरएम नैनीताल रीजन यशपाल सिंह का कहना है कि बड़ी संख्या में रोडवेज बसों को डीजल की बजाय सीएनजी से चलाने को लेकर मुख्यालय स्तर पर विचार किया जा रहा है। इससे निगम को फायदा भी होगा। हालांकि अंतिम निर्णय मुख्यालय स्तर पर ही लिया जाएगा।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में दो साल पहले ट्रायल के तौर पर बैटरी से चलने वाली बसों को चलाया गया था। जिसमें से कुछ तो अब भी देहरादून टू मसूरी मार्ग पर चल रही हैं। हालांकि इस वक्त हल्द्वानी टू नैनीताल का प्रस्ताव रद कर दिया गया था। बताया जा रहा है कि पहले दिल्ली रूट की 400 बसों को सीएनजी के दायरे में लाने की प्लानिंग है। लाजमी है कि घाटे से उबरने के लिए यह कदम फायदेमंद साबित हो सकता है।
रोडवेज के नैनीताल रीजन पर गौर करें तो यहां अभी तीन सीएनजी बसें चलाई जा रही हैं। दिल्ली चलने वाली इन अनुबंधित बसों को रामनगर डिपो के सुपुर्द किया गया है। दिल्ली के एक सीएनजी पंप से गैस भरवाई जाती है। इसका है महीने के खर्चा मुख्यालय की तरफ से होता है। आई बसों की कमाई औसत बेहतर है। यही वजह है कि निगम को खुद के सीएनजी पंप भी खोलने पड़ेंगे।