Uttarakhand News: 22 Years Old Parsad: Rishikesh: उत्तराखंड के ऋषिकेश नगर निगम के वार्ड 31 से 22 वर्षीय मुस्कान ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। मुस्कान ने राज्य की सबसे युवा महिला पार्षद बनने का गौरव हासिल किया है, जो स्थानीय राजनीति में युवाओं की भागीदारी को लेकर एक सकारात्मक संकेत है।
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की छात्रा ने किया चुनावी मैदान में प्रवेश
मुस्कान, जो श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में एमए की छात्रा हैं, चुनावी राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने से पहले छात्रसंघ चुनावों में भी सक्रिय थीं। हालांकि, छात्रसंघ चुनाव रद्द होने के कारण उनका पहला मौका हाथ से निकल गया, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय नगर निगम चुनावों में भाग लेने का साहसिक निर्णय लिया।
चुनावी प्रचार ने बढ़ाया समर्थन
चुनाव में उनकी शुरुआत खास चर्चा में नहीं आई थी, लेकिन जब मुस्कान ने जनता से संपर्क करना शुरू किया और अपने विचार साझा किए, तो धीरे-धीरे लोगों का समर्थन मिलने लगा। मुस्कान की सादगी, स्पष्ट विचारधारा, और क्षेत्र के विकास को लेकर उनके उत्साह ने लोगों को प्रभावित किया। उनके चुनावी संदेश में विशेष रूप से युवाओं के उत्थान और क्षेत्रीय विकास पर जोर था, जो अंततः जनता का विश्वास जीतने में सफल रहा।
28 वोटों से मिली जीत, जनता का आभार व्यक्त
मुस्कान ने कुल 28 वोटों से अपनी जीत दर्ज की और ऋषिकेश नगर निगम की सबसे युवा निर्दलीय महिला पार्षद के रूप में इतिहास रच दिया। मुस्कान ने अपनी सफलता का श्रेय अपने वार्ड के निवासियों को देते हुए कहा, “यह विजय मेरी नहीं, बल्कि मेरे पूरे वार्ड की है, जो बदलाव की आकांक्षा रखते थे।” उन्होंने आगे कहा कि यह जीत युवाओं और आम जनता के विश्वास की जीत है और अब उनकी जिम्मेदारी है कि वे इस विश्वास को सही साबित करें।
विकास कार्यों पर प्राथमिकता देने का वादा
मुस्कान ने अपने वार्ड में विकास कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का वादा किया है। उनके एजेंडे में मुख्य रूप से सड़क निर्माण, स्वच्छता, जल आपूर्ति और युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों का निर्माण शामिल है। मुस्कान ने बताया कि उनका लक्ष्य अपने वार्ड की जनता के लिए बेहतर सुविधाएं और अवसर प्रदान करना है, ताकि वह क्षेत्र का समग्र विकास कर सकें।
नारी शक्ति और युवाओं की राजनीति में बढ़ती भागीदारी का प्रतीक
मुस्कान की जीत न केवल युवाओं की राजनीति में बढ़ती भागीदारी का प्रतीक है, बल्कि यह महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। उनकी सफलता यह दर्शाती है कि अगर किसी के पास सही दृष्टिकोण और समर्पण हो, तो वह किसी भी चुनावी परिदृश्य में जीत हासिल कर सकता है।
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