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उत्तराखंड में सड़क हादसों के आंकड़ें जारी,गांव में शहरों से ज्यादा हो रही हैं मौत


उत्तराखंड सड़क हादसों के आंकड़े जारी,गांव में शहरों से ज्यादा हो रही मौत

देहरादून: राज्य में पिछले कुछ सालों में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों का आंकड़ा कम हुआ है। इसके लिए श्रेय सीपीयू को जाता है जो राज्य के कई बड़े शहरों में यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को तुंरत सजा देती है। इसके अलावा शहरों में सीसीटीवी व पुलिस गाड़ी भी अधिक स्पीड व अन्य गतिविधियों पर नजर बनाए हुए रहती है। वाहनों की संख्या शहरों में ज्यादा है तो पुलिस चैकिंग भी मैदानी क्षेत्रों में ज्यादा रहती है।

लेकिन क्या आपकों पता है कि उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या शहरों से ज्यादा है। परिवहन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों की मानें तो शहरों में 35 प्रतिशत लोग सड़क हादसों की वजह से जान गंवाते हैं और गांव में यह आंकड़ा बढ़कर 65 प्रतिशत हो जाता है। पिछले वर्ष सड़क हादसों में शहरी इलाकों में 304 तो ग्रामीण इलाकों में 563 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। 

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आंकड़ों पर डाले नजर


जिला-                  शहरी            ग्रामीण

चमोली-                1                  25
उत्तरकाशी-           6                  12
रुद्रप्रयाग-             1                   16
अल्मोड़ा-               0                   4
चंपावत-                5                  14
पिथौरागढ़-             1                   6
बागेश्वर-                  0                  4
पौड़ी-                     14               18
ऊधमसिंह नगर-      80             126
देहरादून-               65             103
हरिद्वार-                72               112
नैनीताल-               59                42
टिहरी-                  0                  81

खासकर पहाड़ी इलाकों में लोग ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते हैं क्योंकि वहां पर नियमित रूप से चैकिंग नहीं होती है। गांव की सड़कों पर न तो वाहन गति को लेकर कोई इंतजाम हैं और ही रिफ्लेक्टर। इन आंकड़ों के सामने आने के बाद परिवाहन विभाग चिंतित है और ग्रामीण इलाकों में दुर्घटनाओं पर नियंत्रण करने की खास रणनीति बना रहा है। उनकी कोशिश है कि गांव में 10 से 25 फीसदी हादसों को रोका जाए। परिवहन विभाग ने हादसों पर नियंत्रण करने के लिए जिलावार लक्ष्य निर्धारित किया है। वहीं शहरी क्षेत्रों में सड़क हादसों में 10 से 20 फीसदी तक कमी लाने का लक्ष्य विभाग ने रखा है।

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