उत्तराखंड में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 19 मई को राज्य में 100 कोरोना वायरस के मामले सामने आए थे लेकिन अब आंकड़ा हजार से पार हो गया है। कोरोन वायरस के बचाव हेतु तमाम कदम उठाए जा रहे हैं। वायरस का तोड़ अभी तक सामने नहीं आया है। इसके बचाव के लिए हाथ ना मिलना, सामाजिक दूरी का पालन करना, बार-बार हाथ थोना और मास्क पहनने की अपील प्रशासन जनता से कर रही है। सोशल मीडिया पर कई ऐसे पोस्ट डाले जा रहे हैं जिसमे वायरस को खत्म करने के उपाय बताए जा रहे हैं जो लोगों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं।
मंगलवार को ये कार्य चंपावत पुलिस ने भी किया। एसपी चंपावत फेसबुक पेज पर कोरोना वायरस के संबंध में पुलिस ने लिखा कि कोरोना वायरस फेंफड़े में पहुंचने से पहले वह गले में चार दिन तक रहता है, उस दरमियान व्यक्ति के गले में दर्द व कफ की शिकायत रहती है। यदी आप खूब पानी पियो और गर्म पानी में नमक अथवा वेनिगर डालकर गरारे करो तो वायरस खत्म हो जाता है।
इससे पहले मार्च महीने में ये दावा वायरल हुआ था. उस वक्त खुद सरकारी सूचनाओं की नोडल एजेंसी- प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो(PIB) की फैक्ट चेक यूनिट ने इस दावे को झूठ बताया था।
ये पोस्ट जैसे ही फेसबुक पर आया तो लोगों ने पुलिस को ट्रोल करना शुरू कर दिया। दरअसल कोरोना वायरस के इलाज के संबंध में कोई इलाज व इस तरह की जानकारी सामने नहीं आई है। लोगों ने पोस्ट शेयर करना शुरू किया तो चंपावत पुलिस ने इस पोस्ट को फेसबुक से ही हटा दिया।
पुलिस ने जब से ये पोस्ट डाली, तभी से कई लोगों ने कमेंट करके इस दावे पर सवाल उठाए। लेकिन पुलिस अपने फ़र्ज़ी पोस्ट पर अड़ी रही। शाम के वक़्त पुलिस ने एक-एककर उन सारे कमेंट्स को डिलीट किया जो इस पोस्ट पर सवाल उठा रहे थे। देर शाम तक जब कई जगह ये खबर फैल गई और मीडिया में खबर छपी तो पुलिस ने चुपचाप पोस्ट डिलीट कर दी।
लेकिन पुलिस ने अभी तक भी अपनी फ़र्ज़ी पोस्ट पर ना तो कोई सफाई दी है। न ही माफी मांगी है।
चूंकि डिलीट करने से पहले लोगों ने इस खबर को फेसबुक से उठाकर व्हाट्सएप्प जैसे तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शेयर कर दिया था, इसीलिये लोग पुलिस के दावे को सच मान रहे हैं। कायदे से पुलिस को सफाई देनी चाहिए और लोगों से अपील करनी चाहिए कि इस फ़र्ज़ी दावे पर भरोसा ना करें।