उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए किसान विधेयक के विरोध में कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह, मनोज रावत, काजी निजामुद्दीन और आदेश चौहान ट्रैक्टर से विधानसभा के लिए निकले। लेकिन प्रसार भारती के सामने पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें रोक दिया। इसके बाद कांग्रेस विधायक सड़क पर ही धरना देने बैठे और पुलिस के साथ नौक-झोंक भी हुईं। सभी ने विधानसभा अध्यक्ष को फोन किया और अपना पक्ष रखा। मामला ठंडा होने के बाद ही सिटी मजिस्ट्रेट ने उन्हें विधानसभा जाने की अनुमति दी।
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प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। इसके चलते आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं। कोरोना वायरस पर काबू पाने में भी सरकार विफल रही है। सहकारिता व उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ धन सिंह रावत के कोरोना जांच होने के बावजूद कई स्थानों पर घूमने और बैठकों पर पहुंचे,क्या यह जरूरी था। कांग्रेस पार्टी सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़क पर संघर्ष करने को मजबूर है। स्वास्थ्य सेवाएं हों, महंगाई हो या अन्य दिक्कतों का सामना प्रदेश की जनता को करना पड़ रहा है। कांग्रेस जब जनता के मुद्दे लेकर उतरती है तो उन पर केस दर्ज किए जाते हैं। लेकिन सरकार के मंत्री कोविड-19 के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं और प्रदेश में घूमकर अन्य लोगों के लिए भी खतरा पैदा कर रहे हैं।
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मंगलौर विधायक और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव काजी निजामुद्दीन ने एक दिन के विधानसभा सत्र पर सवाल खड़े किए। विधानसभा सत्र में जनता के सवालों के जवाब मिलने चाहिए और इसे बढ़ाने की जरूत है। सरकार लोगों के सवालों से बचने का प्रयास कर रही है। देहरादून में कृषि अध्यादेश समेत अन्य के विरोध में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्त्ता विधानसभा कूच करने पहुंचे। डिफेंस कॉलोनी गेट पर पुलिस ने आप कार्यकर्त्ताओं को बैरिकेडिंग कर रोक दिया। आप कार्यकर्त्ताओं ने कई बार बेरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास किया। पुलिस और कार्यकर्त्ताओं क बीच धक्क-मुक्की भी हुई।