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उत्तराखंड में बना ऐसा मोबाइल एप, कोरोना संक्रमित की दूरी के बारे में बताएगा


देहरादून: कोरोना वायरस से सुरक्षा हेतु लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कही किट बन रही है तो कही सैंपल की तकनीक को आधुनिक तकनीक से जोड़ने पर शोध चल रहा है। उत्तराखंड में जनता की सुरक्षा हेतु एक ऐप बनाया गया है जो कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज की दूरी के बारे में ग्राहक को बताएगा। आईआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर कमल जैन ने कोविड ट्रेसर मोबाइल एप बनाया है। यह लोगों को बताएगा कि कोरोना का संदिग्ध या संक्रमित मरीज आपसे कितनी दूर है। इसके अलावा एप यह क्वारंटीन से मरीजों के भागने पर भी ब्रेक लगा सकता है।

प्रो. कमल जैन द्वारा जानकारी दी गई कि विदेशों में व्यक्ति के शरीर में जीपीएस टैग यानी कॉलर लगा दिया जाता है। इसके विकल्प के रूप में मोबाइल के जरिए क्वारंटीन या आइसोलेट किए गए व्यक्तियों से अलर्ट करने के लिए एप तैयार किया गया है।

संदिग्ध का डाटा फीड करने के बाद जीपीएस तकनीक की मदद से इस एप में संदिग्ध की लोकेशन मिलेगी। संदिग्ध के संपर्क के बारे में भी पता लगाया जा सकेगा। एसएमएस के जरिए अलर्ट मिलने के साथ ही लोकेशन का मैसेज भी मिलता रहेगा। जब जीपीएस एक्टीवेट नहीं होगा तब एप मोबाइल टॉवर की सहायता से ट्रेस करेगा।

इंटरनेट नहीं होने पर SMS के माध्यम से जानकारी मिलेगी। अगर एप बंद होता है तो अलर्ट जारी होगा। डिवाइस पर एसएमएस भेजकर व्यक्ति की जगह का पता प्राप्त किया जा सकता है। यह एप भीड़भाड़ को दूर करने में भी मदद करेगा। व्यक्ति की पूरी मूवमेंट हिस्ट्री प्राप्त की जा सकती है। एप में मल्टी-कैमरा सपोर्ट, सर्विलांस मैग्नेटिक डिवाइस, हाल्ट टाइम और प्रीसेट ऑटो कैमरा क्लिक फीचर्स शामिल हैं।

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