हल्द्वानी: खिलाड़ी के लिए हर दिन नया होता है। एक दिन ही खिलाड़ी के जीवन को बदलता है यो कहिए कि उसे राह देता है। उत्तराखण्ड के लिए रणजी ट्रॉफी डेब्यू में शतक लगाने वाले कमल कन्याल के बारे में पूरा भारतीय मीडिया बात कर रहा है। इस लड़के ने पहले अंडर-19 वनडे और टेस्ट में शानदार प्रदर्शन किया। कमल ने अंडर-19 के 9 मैचों में बल्लेबाजी करते हुए 800 रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने एक दोहरा शतक, दो शतक और तीन अर्द्धशतक जड़े थे। उसके बाद रणजी में मौका मिला तो उन्होंने महाराण्ट्र के खिलाफ डेब्यू में शतक जड़कर राज्य के लिए इतिहास रच दिया। दूसरी पारी में भी अर्धशतक लगाया लेकिन दूसरों छोर से साथ नहीं मिलने के वजह से उत्तराखण्ड को हार का सामना करना पड़ा।
इस मुकाबले में महाराष्ट्र जीता जरूर लेकिन वायरल कमल हो रहा है। पूरा भारतीय मीडिया कमल के बारे में बात कर रहा है। सभी को क्रिकेटर की जिंदगी लगती आसान हैं लेकिन काफी कठिन होती है। कमल जहां खड़ा है वहां पहुंचने के लिए उन्होंने मौत को मात दी, जी हां मौत को देकर कमल क्रिकेट के मैदान पर जलवा बिखेर रहा है। कमल के बारे में पूरा भारतीय मीडिया बात कर रहा है और उनकी तुलना युवराज सिंह से कर रहा है।
कमल कन्याल को आज भी वह दिन याद हैं जब वह एक सामान्य खून जांच के लिए गए थे और डॉक्टर ने उनके पिता को उन्हें नोएडा हॉस्पिटल में ले जाने की सलाह दी थी, ताकि आगे का इलाज करवाया जा सके। कमल को उनके पिता और डॉक्टर के बीच पूरी बातचीत तो याद नहीं लेकिन उन्होंने सुना था कि उनके शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम हो रही हैं और उन्हें इलाज के लिए उत्तर प्रदेश के हॉस्पिटल में जाना होगा। कमल की उम्र इस समय 15 वर्ष थी और उनकी जांच में सामने आया की उन्हें ब्लड कैंसर हैं।
निजी मीडिया हाउस से बात करते हुए कमल ने कहा कि कैंसर की दूसरी स्टेज थी और मुझे बताया गया कि मेरा 47 प्रतिशत खून इससे प्रभावित हैं। मैं उस समय 15 वर्ष का था जब मुझे कैंसर हुआ। मुझे ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) था, और मेरे परिवार ने मुझे इसके बारे में ज्यादा नहीं बताया। मैं अक्सर बीमार हुआ करता था और मेरे शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या लगातार कम हो रही थी। इसके बाद जब हम नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल में गए तो मुझे बताया गया कि मुझे कैंसर हैं। मैंने खुद से कहा कि मुझे अब इलाज मिल रहा हैं और चिंता की कोई बात नहीं,”।
डॉक्टरों ने बताया की रिकवरी की संभावना बहुत अधिक हैं। इस उम्र में शरीर तेजी से रिकवर होता हैं। मुझे कीमोथैरेपी के 5 राउंड दिए गए। मुझे नहीं पता इसका क्या मतलब हैं। मेरे आसपास काफी सकारात्मक लोग थे, जिन्होंने मुझे मोटीवेट किया और मुझे खुश रखा। मेरा परिवार कहा करता था कि मैं एक टाइगर हूँ। ‘लड़का बहुत ही बहादुर हैं’ बस ये लाइन सुनकर जोश आ जाता था।” 6 महीने के इलाज के बाद डॉक्टरों ने बताया कि वह ठीक हैं, लेकिन घर पर उनका ध्यान रखे जाने की जरुरत थी। उन्हें पूरी तरह से ठीक होने में लगभग एक वर्ष का समय लगा और इसके बाद उन्होंने पहला काम मैदान पर वापसी का किया।