हल्द्वानी: योगेश शर्मा: ट्रंचिंग ग्राउंड में हाईकोर्ट के कूड़ा ना फेकने के फैसले के बाद हल्द्वानी में परेशानी सामने आ रही है। पूरे शहर की गलियों ने कूडेदान का रूप ले लिया है। वहीं नगर निगम के पास कूड़ा ठिकाने लगाने की कोई और व्यवस्था भी नहीं है। शहर के विभन्न मुख्य मार्गों में फैले कूड़े के ढेर ने बीमारी पैदा होने के हालात पैदा कर दिए है। वहीं नगरनिगम ने कोर्ट से ट्रंचिंग ग्राउंड में कूड़ा डालने की अनुमति मांगी थी जिसे उसने ठुकरा दिया। बता दें कि ट्रंचिंग ग्राउंड में कूड़ा डंप करने पर हाईकोर्ट की रोक के बाद से शहर में सात दिन से कूड़ा नहीं उठा है।
इस मामले में यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नगर निगम पर लापरवाही करने का आरोप लगाते हुए नगर निगम पर हंगामा काट। शहर में कूड़ा ना उठाए जाने पर कार्यकर्ताओं में भारी गुस्सा प्रकट किए। उन्होंने निगम प्रशासन के खिलाफ कार्यकर्ताओं ने की जमकर नारेबाजी की। सड़क किनारे फैले कूड़े को यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इकट्ठा कर नगर निगम परिसर में फेंककर किया प्रदर्शन। नगर निगम प्रशासन से जल्द से जल्द कूड़ा उठाने की करी मांग। यूथ कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष त्रिलोक सिंह कठायत के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया।
वहीं मंगलवार को वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने एक हफ्ते में ठोस कचरे को वैज्ञानिक तरीके से निस्तारित करने के लिए राज्य सरकार से ठोस कचरा निस्तारण संयंत्र की परियोजना रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने आदेश दिया। पीठ ने कूड़ा निस्तारण पर काम नहीं करने के लिए हल्द्वानी नगर आयुक्त और नैनीताल नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी का तबादला करने की बात भी की।कोर्ट ने कहा कि नैनीताल और हल्द्वानी के कूड़ेदान भरे पड़े हैं और चारों ओर कूड़ा बिखरा हुआ है। कोर्ट ने अधिकारियों से सीधे-सीधे पूछा कि नदी किनारे कूड़ा डंप करने की अनुमति किसने दी। प्रशासन का कहना था कि डंपिंग ग्राउंड के लिए भूमि न मिलने तक वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के लिए विज्ञापन भी जारी नहीं किया जा सकता है। सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।
।नैनीताल हाईकोर्ट का आदेश आते ही शासन ने हल्द्वानी में ट्रंचिंग ग्राउंड यानी नगरीय अपशिष्ट परियोजना के निर्माण की प्रक्रिया तेज कर दी है। आनन-फानन में वन विभाग की चार हेक्टेयर जमीन नगर निगम को तीस वर्ष के पट्टे पर सौंप दी गयी है। इस योजना के लिए केन्द्र सरकार की ओर से 38 करोड़ की धनराशि पहले ही जारी की जा चुकी है।मंगलवार को इस संबंध में शासन के सचिव अरविंद सिंह ह्ययांकी की ओर से शासनादेश जारी किया गया है। इसमें राज्यपाल के अनुमोदन के बाद वन्य भूमि के हस्तांतरण और इसके बदले में वन विभाग को आठ हेक्टेयर जमीन देने का उल्लेख हुआ है। वन विभाग को सौंपी जाने वाली जमीन पर शहरी विकास विभाग के खर्च पर जंगल लगाने का काम होगा।