हल्द्वानी। चीन और भारत के संबध कुछ वक्त से अच्चे नही चल रहे है। एनएसजी के विषय के बाद से कई ऐसी बात सामने आई है जिससे दोनो ही देश एक दूसरे पर निशाना साध रहे है। कुछ ही दिन पहले भारत ने चीन के 3 पत्रकारों के वीजा की अवधि नही बढाई तो चीन ने भारत को परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने जैसी बात बोल दी। चीन और भारत के बीच सीमा विवाद का रिश्ता काफी पुराना है।
चीन की सेना के खिलाफ आरोप लगा कि है कि उसने एक बार फिर भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश की है। उत्तराखंड सरकार के मुताबिक बीती 19 जुलाई को चमोली जिले के डीएम और आईटीबीपी के अधिकारियों ने बाराहोती इलाके में हथियारबंद चीनी सैनिकों को देखा था।
उत्तराखंड सरकार के मुताबिक चीनी सैनिक भारतीय अधिकारियों को देखकर वापस अपनी सीमा में लौट गए थे। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत ने चीनी सैनिकों के भारतीय सीमा में दाखिल होने की घटना को चिंता की बात बताया है। रावत ने कहा है कि केंद्र सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस इलाके में निगरानी कड़ी करनी चाहिए।
डियन-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के डीजी कृष्णा चौधरी ने इस मामले की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी है।वहीं, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने कहा है कि आईटीबीपी के डीजी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, चीनी सैनिकों को भारतीय सीमा में देखा जरूर गया था लेकिन घुसपैठ जैसी स्थिति नहीं है।
चीन इससे पहले भी घुसपैठ जैसे गतिविधियों को अंजाम दे चुका है। आईटीबीपी के अनुसार, करीब दो साल पहले भी चीनी एयरफोर्स के जेट इसी इलाके से भारतीय सीमा में दाखिल हुए थे।जबकि दोनों देशों के बीच इस बात पर सहमति है कि 80 वर्ग किलोमीटर के इस इलाके में किसी देश के सैनिक नहीं घुसेंगे।बाराहोती 80 वर्ग किलोमीटर में फैला चारागाह है, जहां लोग अपने जानवरों को चराने के लिए आते हैं।