नैनीताल: उत्तराखण्ड देश के मुख्य पर्यटन जगहों में से एक है। देहरादून ,मसूरी और नैनीताल घूमने के लिए हजारों सैलानी आते है। लेकिन पहले जो सैलानी हरयाली का लुफ्त उठाते थे वो आज पहाडी इलाकों को नशा करना के लिए उपयोग कर रहे है। इसका मुख्य कारण प्रदेश के युवाओं का नशे के प्रति रुचि ही है। क्योंकि आपके घर की छवि का निर्माण आप ही करते है और यहां इसलिए ये बात कही है। इसी विषय में गंभीरता दिखाते हुए न्यायपालिका आगे आई है। प्रदेश में कई जगह लगातार नशे के पदार्थ पकड़े जा रहे है और ये आंकडे वहा ज्यादा जहां युवाओं की संख्या अधिक है। देहरादून में 2.5 किलो चरस के मामले में पकड़े गए आरोपी की अपील पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा कि नशीले पदार्थों का उत्पादन, परिवहन, व्यापार करने वालों के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की जाए। इसके लिए हाईकोर्ट ने प्रदेश पुलिस को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। बता दे कि देहरादून निवासी हरिहर राम ढाई किलो चरस के साथ पकड़ा गया था। निचली कोर्ट ने उसे दस साल कैद और एक लाख जुर्माने की सजा सुनाई । निचली कोर्ट के फैसले को हरिहर द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी लेकिन हाईकोर्ट ने हरिहर की सजा को बरकरार रखा है।
इस मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिए है कि वो इस तरह की गतिविधियों पर लगाम लगाए। युवाओं को नशे की ओर ले जाकर उनके भविष्य को बर्बाद कर रहे लोग समाज के लिए जहर है । कोर्ट ने निर्देश जारी किया है कि मादक पदार्थों का स्रोत क्या हैं, उसके आवागमन के रास्ते और किस आदमी तक कैसे पहुंचता है। इस पर कोर्ट में जवाब देने के लिए कहा है। साथ ही कोर्ट ने सचिव गृह को राज्य के नशा प्रभावित जिलों में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के अधीन टास्क फोर्स का गठन करने और मादक पदार्थों के व्यापारिक स्तर पर पकड़े जाने पर जांच आइपीएस के निर्देशन में करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिस कर्मियों व गवाही से पलटने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने, बेहतर व तेजतर्रार पुलिस कर्मियों को इस काम में लगाने को कहा है।गौरतलब है कि प्रदेश के युवा बड़ी तेज रफ्तार से नशे के गुलाम बनते दिख रहे है और इस कारण कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए है।