हल्द्वानी:लक्ष्य प्राप्ति के लिए रुकावत से गुजरना पड़ता है और केवल परिश्रम से ही उससे पार पाया जा सकता है। बात उत्तराखण्ड क्रिकेट की करें तो पिछले एक दशक से राज्य बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है लेकिन अभी भी उसे मान्यता नहीं मिली है। राज्य को मान्यता ना मिलने से युवा क्रिकेटर को जूझना पड़ता है और बाहर की प्रदेश टीम से खेलना पड़ता है। उत्तराखण्ड से मनीष पांडे, उन्मुक्त चंद ऋषभ पंत जैसे खिलाडियों ने दूसरे राज्य राज्य से प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलकर अपना नाम कमाया है और वो भारतीय टीम के लिए अपना दावा पेश कर रहे है। उसी दिशा में ओडिशा रणजी टीम के सदस्य व हल्द्वानी के सौरभ रावत भी नीली जर्सी पहनने के लिए मेहनत कर रहे है। सौरभ ने अपने क्रिकेट की शुरूआत हल्द्वानी से ही की और अपने अच्छे प्रदर्शन की बदौलत ओडिशा रणजी टीम में जगह बनाई।सौरभ रावत ने सीजन 2016-2017 में अपने प्रथम क्षेणी क्रिकेट करियर का पर्दापण किया। अपने पहले सीजन में 8 मैचों में 270 रन बनाए। इसमें दो फिफ्टी भी मौजूद है। हल्द्वानी पहुंचे सौरभ ने हल्द्वानी लाइव से बातचीत में बताया कि उनका पहला सीजन भले ही अच्छा नही रहा है लेकिन वो अपने लक्ष्य से भटके नहीं है। वो अपने परिश्रम को अपनी सफलता की कूंजी बनाने के लिए मेहनत कर रहे है।सौरभ ने बताया कि अपने राज्य को मान्यता नहीं मिलने से परेशानी जरूर आती है लेकिन अगर आपको कुछ अलग करना है तो उसे पार पाना होगा। सौरभ ने अपने दूसरे सीजन के लिए शुरूआत कर दी है और उन्हें उम्मीद है कि अपने परिश्रम से वो सफलता जरूर प्राप्त करेंगे। बता दे कि सौरभ के पिता आन्नद सिंह रावत एनएचपीसी बनबसा में कार्यकृत है वहीं मां गीता रावत हाउस वाइफ है। सौरभ बताते है कि राज्य को मान्यता प्राप्त नहीं है लेकिन माता-पिता उनका सपना पूरा करने के लिए उन्हें काफी सपोर्ट करते है। सौरभ मौजूदा समय में दिल्ली में अभ्यास कर रहे है।
हल्द्वानी लाइव से सौरभ रावत ने की बात