नई दिल्ली:नोटबंदी और जीएसटी के बाद सरकार के एक फैसले ने घर चलाने वाली महिलाओं को खुशी दी है। हर महीने एलपीजी सिलिंडर का रेट बढ़ाने का फैसला मोदी सरकार ने वापस ले लिया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है कि हर महीने रसोई गैस सिलिंडर के दाम बढ़ाना सरकार की गरीबों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने की योजना ‘उज्ज्वला’ के उलट बैठता है। इससे पहले सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की सभी पेट्रोलियम कंपनियों को जून, 2016 से एलपीजी सिलिंडर कीमतों में हर महीने चार रुपये की बढ़ोतरी का निर्देश दिया था।
इसके बाद पेट्रोलियम कंपनियों ने 10 मौकों पर एलपीजी के दाम बढ़ाए थे। प्रत्येक परिवार को एक साल में 12 सब्सिडी वाले सिलिंडर मिलते हैं। इससे अधिक की जरूरत होने पर बाजार मूल्य पर सिलिंडर मिलता है। 30 मई, 2017 को एलपीजी कीमतों में मासिक वृद्धि को बढ़ाकर दोगुना यानी चार रुपये कर दिया गया। पेट्रोलियम कंपनियों को 1 जून, 2017 से हर महीने एलपीजी कीमतों में चार रुपये वृद्धि का अधिकार दिया गया। इस मूल्यवृद्धि का मकसद घरेलू सिलिंडर पर दी जाने वाली सरकारी सब्सिडी को शून्य पर लाना था। यह काम मार्च, 2018 तक किया जाना था।
इस योजना में ग्राहकों को सीधे उनके खातों में सब्सिडी की राशि डाल दी जाती है और उन्हें एलपीजी सिलिंडर बाजार मूल्य पर खरीदना होता है। डीबीटी से पहले डीलरों के पास एलपीजी सब्सिडी वाले मूल्य पर उपलब्ध होता था। वैट इसी सब्सिडी वाले मूल्य पर लगाया जाता था। अब एलपीजी सिर्फ बाजार मूल्य पर उपलब्ध है और उस पर जीएसटी लगता है। सूत्र ने कहा कि सब्सिडी वाले मूल्य से अधिक होने के अलावा बाजार मूल्य में हर महीने बदलाव आता है। करों को शामिल करने के लिए इसके खुदरा मूल्य में बदलाव करना पड़ता है। पिछले 17 माह में 19 किस्तों में एलपीजी कीमतों में 76.5 रुपये की बढ़ोतरी हुई है।