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शक्तिमान का केस होगा वापस, यानी NO वन KILLED Shaktiman !

देहरादून: उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव मार्च 2017 में हुए लेकिन 2016 से राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल जारी थी।  मार्च 2016 में शक्तिमान घोड़ा खबर में आया था। प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी। विधानसभा घेराव के दौरान रिस्पना चौराहे पर बीजेपी कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की हुई थी इसी दौरान शक्तिमान को भी चोट पहुंची थी और विधायक गणेश जोशी का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था जिसमें वह शक्तिमान को लाठी मारते हुए नजर आए। इसके बाद गणेश जोशी पर कुल 5 मामले दर्ज बताये जाते हैं। शक्तिमान की टांग टूटने के बाद पशु प्रेमी संगठनों ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत गणेश जोशी के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कराया था। यहां तक की गणेश जोशी जेल भी भेजे गए थे। लेकिन वह कांग्रेस सरकार के वक्त की कहानी थी। सरकार बदली, राजपाठ बदला तो अब केस भी बदल गया है।

शक्तिमान मामले से राज्य सरकार ने मुकदमा वापस ले लिया गया है। इसके बाद सीबीसीआईडी जांच अपने आप ही समाप्त मान ली जाएगी। बता दे कि शक्तिमान की टांग टूटने पर इसका तत्काल ऑपरेशन किया गया था और जब संक्रमण फैलने लगा तो उसकी टांग निकालनी पड़ी थी। सरकार ने घोड़े के ऑपरेशन के लिए अमेरिका, मुम्बई और भूटान के पशु विशेषज्ञों को बुलाया था। लेकिन पैर में संस्क्रमण फैलने से शक्तिमान की मौत हो गई थी।

 इस बीच बीजेपी ने सत्तासीन होते ही अपने कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का इरादा ज़ाहिर किया था। राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी स्पष्ट किया था कि बीजेपी के जिन कार्यकर्ताओं पर राजनीतिक द्वेष के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाएगा। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने देहरादून दौरे में भी मुकदमों को वापस लेने पर सहमति दी थी। मतलब साफ है कि सरकार अब नहीं चाहती कि विधायक गणेश जोशी पर कोई कार्रवाई हो। हालांकि, इसके लिए अभी कोर्ट की सहमति भी जरूरी होगी।

पुलिस शक्तिमान को सिर्फ एक घोड़ा नहीं था बल्कि उत्तराखंड पुलिस का एक सिपाही मानती थी क्या वह भी अपने साथी की मौत पर चुप रहेगी? ऐसे में सवाल तो बनता ही है कि क्या सरकार बदलते ही कार्रवाई का पैमाना भी बदल जाता है और क्या पुलिस भी सत्ता के इशारे पर काम करती है?

 

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