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हाईवे पर शराब बेचने के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने बदले नियम


देहरादून- पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में शराब की बढ़ती प्रवृति से परेशान राज्य वासियों को सरकार ने तगड़ा झटका दिया है। राजस्व के नुकसान की कीमत पर सरकार कई लोगों की ज़िद़गी से खेलने को तैयार है। उत्तराखंड में कई महिला संगठन और स्वयंसेवी संस्थाए शराबबंदी की मांग कर रहे हैं।सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद लोंगो को उम्मीद थी कि शराब की ब्रिकी पर इसका असर पड़ेगा और आने वाली पीढ़ी नशे की आगोश में जाने से बचने सकती है। पर उत्तराखंड में तीन चौथाई बहुमत से आने वाली सरकार ने इस पर पानी फेर दिया.हरीश रावत सरकार को चुनावों में बीजेपी ने शराब को लेकर निशाना बनाया था। नेशनल और स्टेट हाईवे से शराब की दुकानों की शिफ्टिंग के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के देखते हुए त्रिवेंद्र सरकार ने कैबिनेट की बैठक में अहम फैसले लिए।राज्य मंत्रिमंडल की शुक्रवार को हुई बैठक में नगर निकायों के अंतर्गत सभी स्टेट हाईवे की श्रेणी को बदलकर अन्य जिला मार्ग घोषित करने पर मुहर लगाई गई। मंत्रिमंडल के इस फैसले के बाद 64 सड़क मार्ग स्टेट हाईवे के दायरे से बाहर हो गए हैं।अब इन मार्गों पर मौजूद शराब की दुकानों को शिफ्ट करने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी।

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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्य रूप से हाईवे से शराब की दुकानों की शिफ्टिंग से आबकारी विभाग को होने वाले राजस्व के नुकसान से निपटने पर मंथन हुआ। मंत्रिमंडल की मीटिंग के बाद मुख्य सचिव एस रामास्वामी ने बताया कि राज्य के सभी नगर निकायों यानी नगर निगमों, नगरपालिका परिषदों और नगर पंचायतों के अंतर्गत स्टेट हाईवे का हिस्सा अब स्टेट हाईवे नहीं कहलाएगा। इन सभी को अब अन्य जिला मार्ग घोषित किया गया है।पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने राजमार्गों पे शराब की दुकानों को या तो बंद या 500 मीटर दूर स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। आदेश 1 अप्रैल, 2017 से लागू हो चुका है.हालांकि इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन पर पुर्नविचार करते हुए नियमों में ढील दी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले सुनाये।

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पहला- 500 मीटर के दायरे का नियम घनी आबादी वाले क्षेत्रों पर लागू होगा।

दूसरा – सरकार ने कम आबादी वाले क्षेत्रों में इस दूरी के दायरे को 500 से घटाकर 220 मीटर कर दिया है। 

तीसरा- बिहार में लगी शराबबंदी को लेकर स्टाकिस्टों को थोड़ी मोहलत देते हुए कहा कि 31 मई तक शराब के सारे स्टॉक को बिहार से बाहर कर दें।

शराबबंदी को लेकर उत्तराखंड सरकार इससे पहले भी अपने फैसलों को लेकर जनता के बीच घिरी हुई है।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 1 अप्रैल से चार धाम को देखते हुए चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में शराबबंदी के आदेश दिए थे। जिसके बाद त्रिवेंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में स्टे लेकर आई है जिसके बाद वहां पहले की तरह शराब बिक रही है।शराब को त्रिवेंद्र सरकार भी पिछली सरकारों की तरह राजस्व का प्रमुख साधन मानती है इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्क्रिय करने के लिए सरकार ने हाईवे को लेकर नए नियम बना दिए।

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