यमकेश्वर: तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए भयानक हेलीकॉप्टर क्रैश (helicopter crash) में देश ने अपने पहले सीडीएस ही नहीं बल्कि सबसे होनहार सैन्य अफसर को भी खो दिया। जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) और उनकी पत्नी के निधन के बाद उत्तराखंड में राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। गौरतलब है कि बिपिन रावत उत्तराखंड पौड़ी के छोटे से गांव की पैदाइश थे, जहां वे अब से करीब तीन साल पहले आखिरी बार आए थे।
जी हां, 2018 में जब जनरल बिपिन रावत भारतीय थल सेना (Indian Army) के प्रमुख थे, वह तब उत्तराखंड अपने पैतृक गांव आए थे। बिपिन रावत के गांव का नाम सैण हैं, जो कि पौड़ी जिले (Pauri District) के बमरौली ग्रामसभा में आता है। 29 अप्रैल 2018 ही वह तारीख थी जब जनरल बिपिन रावत अपनी पत्नी मधुलिका रावत व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ गांव पहुंचे थे।
जनरल रावत और उनके पूरे परिवार (family) सड़क से गांव तक करीब 1 किलोमीटर का रास्ता पैदल ही तय किया। जब बिपिन रावत गांव में पहुंचे तो स्थानीय लोगों के चेहरे पर खुशी देखने लायक थी। खुद बिपिन रावत की आंखें भी भर आईं थीं। यहां पहुंचने पर सबसे पहले उनके चाचा भरत सिंह रावत व चाची सुशीला रावत ने चाय और मिठाई के साथ बेटे का स्वागत (Welcome) किया।
इसके बाद वह कुलदेवता गुल के दर्शन को गए। जहां उन्होंने पूजा पाठ किया। बताया जाता है कि यह गांव अब लगभग खाली हो गया है। अधिकतर परिवार शहरों की ओर पलायन कर चुके हैं। बिपिन रावत ने इस दौरान पुराने ग्रामीणों (villagers) के साथ फोटो भी खिंचाए। हालांकि जनरल रावत ने अपने पैतृक गांव में ज्यादा समय नहीं बिताया। वह कम उम्र में ही स्कूली शिक्षा के लिए देहरादून (Dehradun) चले गए थे।
बिपिन रावत ने देहरादून के कैम्ब्रियन हिल स्कूल (Cambrion high school) और बाद में शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल (St. Edward School) से पढ़ाई की। इसके बाद वह खडकवासला, पुणे में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी में शामिल हो गए। इसके बाद का सफर तो हर भारतीय की आंखों से बार बार गुजर रहा है। हेलिकॉप्टर क्रैश में सीडीएस जनरल रावत, उकी पत्नी समेत कुल 13 लोगों की मौत से पूरा देश स्तब्ध है। उत्तराखंड के लिए इसे वाकई एक बड़ी क्षति कहा जा सकता है।