चंपावत: राज्य को देवभूमि नाम से क्यों पुकारा जाता है। इससे तो हर कोई रूबरू है। प्रदेशवासियों में ईश्वर के प्रति आस्था देखते ही बनती है। यहां मंदिरों की भरमार है। मंदिरों में कुछ भी अनुचित गतिविधि ना हो, इसलिए हर मंदिर की अपनी समितियां हैं। इधर जिले के लधियाघाटी क्षेत्र में स्थित शीला देवी मंदिर समिति ने मंदिर परिसर के लिहाज से कुछ अहम फैसले किए हैं।
मंदिर समिति ने परिसर में पशु बलि पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। ना ही अब शराब पीकर कोई व्यक्ति मंदिर में प्रवेश कर सकेगा। अगर कोई शराब पिया हुआ व्यक्ति अंदर पाया जाता है तो उससे पांच हजार रुपए जुर्माना लिया जाएगा। इसके अलावा मंदिर परिसर और आसपास में पेड़ पौधे काटने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। कोई यह कृत्य करता है तो जुर्माने के साथ कानूनी कार्रवाई भी किए जाने का निर्णय लिया है।
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शीला देवी मंदिर समिति की बैठक संपन्न हुई। जिसमें लॉटरी के तहत तीसरी बार राजेंद्र कोटिया पुजारी बन गए। अब यह फैसला हुआ है कि आगे भी इसी प्रक्रिया से पुजारी का चुनाव होगा। इधर, मंदिर समिति के अध्यक्ष दीवान सिंह बडेला और सदस्य नवीन सिंह भंडारी ने बताया कि मंदिर में पशु बलि देना अब से वर्जित है। यह करते पकड़े जाने पर संबंधितों के खिलाफ जुर्माना लगाने के साथ कानूनी कार्रवाई किए जाने का निर्णय लिया गया है।
बता दें कि मां पूर्णागिरि धाम और बग्वाल युद्ध के लिए प्रसिद्ध मां बाराही धाम में पशुबली को पहले से ही पूरी तरह रोक दिया गया है। अब शीला देवी मंदिर में भी इस पर रोक लगा दी गई। जिले के घटकू, सीमांत तामली, नीड़, धौन आदि स्थानों में दशहरा पर्व पर की जाने वाली पशुबलियों में भी बीते पांच सालों से प्रतिबंध लगा है।
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