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RTE सीटों के लिए आवेदन ना करने वाले स्कूलों की बढ़ेगी परेशानी, एक्शन के मूड में है आयोग

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Uttarakhand Private Schools: RTE Seats Decreased: Commission for Protection of Child Rights:

शिक्षा वह क्षमता है जो नई पीढ़ी को आज के आधुनिक और बदलते समय के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। शिक्षा का अधिकार हमारा मौलिक अधिकार भी है। इसके लिए लाखों विद्यालयों में विद्यार्थियों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है। इन विद्यालयों में कई बड़े निजी विद्यालयों के भी नाम शामिल हैं। राइट टू एजुकेशन (RTE) के अंतर्गत हर वर्ष निजी विद्यालयों को यह सीटें आवंटित की जाती हैं। लेकिन इस बार उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की बड़ी बात कही है।

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प्रदेश में कम हुई 11 हजार सीटें

बता दें कि उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उन सभी निजी स्कूलों की सूची शिक्षा विभाग से मांगी है, जिन्होंने RTE सीटों के लिए इस वर्ष आवेदन नहीं किया है। RTE सीटों के लिए आवेदन ना करने वाले इन सभी स्कूलों की सूची शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत को सौंपी जाएगी। बता दें कि शिक्षा विभाग पहले भी निजी स्कूलों की मनमानी पर सवाल खड़े कर चुका है। लेकिन निजी स्कूलों के सामने शिक्षा विभाग के यह सभी बातें खारिज होती आई हैं। इस वर्ष प्रदेश के स्कूलों में लगभग 11 हजार सीटें कम होने के बाद आयोग ने कड़ा रुख अपना लिया है।

स्कूल इसलिए नहीं करते आवेदन

RTE के अंतर्गत आर्थिक रुप से कमजोर बच्चों को भी अच्छे स्कूलों में पढ़ने का अवसर मिलता है। लेकिन कई निजी स्कूल ऐसे हैं जो अपने स्कूल की अलग पहचान बनाए रखने के लिए गरीब बच्चों को दाखिला नहीं देना चाहते। इसी के कारण कई निजी स्कूल RTE के अंतर्गत विद्यालय को आवंटित होने वाली सीटों के लिए आवेदन नहीं करते। बता दें कि आयोग ने कार्रवाई की बात RTE के अंतर्गत होने वाले प्रवेश प्रक्रिया के पूरे हो जाने के बाद कही है। बाल आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना का कहना है कि “जिन स्कूलों ने आरटीई सीटों के लिए आवेदन नहीं किए हैं, उनकी सूची शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत को सौंपी जाएगी”।

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