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कुमाऊं में छाया हल्द्वानी की दीक्षा का “विज़न”, कैमरे की मदद से साधा रोजगार का मिशन

हल्द्वानी: सदा सर्वदा से हमारे समाज ने खुद को पुरुष प्रधान समाज माना है। हालांकि, आज कहानी बदल चुकी है मगर एक समय था, जब महिलाओं और बेटियों को अवसर तक नहीं दिए जाते थे। ये कहानी कैसे बदली, इसके उत्तर में हमारे इर्द गिर्द ही असंख्य कहानियां हैं। कहानियां महिलाओं की, बेटियों की…कहानियां हमारे उत्तराखंड की। उत्तराखंड की बेटियों ने समय समय पर अलग-अलग कार्यक्षेत्रों में सफलता पाकर समाज को आइना दिखाया है। आज आपके सामने प्रस्तुत है एक बेटी की कहानी, जिसने कैमरा थामकर अपने विज़न को उस मुकाम तक पहुंचाया कि लोग देखते रह गए।

हल्द्वानी में जन्मीं, रुद्रपुर में पली बढ़ी दीक्षा वासन आज आसपास के क्षेत्र में अपने काम यानी (Vasan’s Vision) के लिए जानी जाती हैं। Vasan’s Vision केवल एक स्टूडियो या आत्मनिर्भरता का माध्यम ना होकर वो जरिया है, जिसने दीक्षा के सपनों को उड़ान दी है। दीक्षा ने अपने स्टूडियो की शुरुआत साल 2019 में की थी। करीब सवा तीन साल में ही दीक्षा आज बेबी शूट्स, मैटरनिटी शूट्स के क्षेत्र में कुमाऊं की प्रमुख फोटोग्राफर बन गई हैं।

कैमरे से दोस्ती और पढ़ाई का सिलसिला

28 वर्षीय दीक्षा का जन्म हल्द्वानी में हुआ मगर उनकी परवरिश रुद्रपुर में हुई। वर्तमान में रुद्रपुर में रहने वाली दीक्षा ने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 2013 में एपीजे कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स, जालंधर में प्रवेश लिया। यह स्नातक की पढ़ाई की ही बात है, जब दीक्षा ने धीरे धीरे अपने अंदर एक फोटोग्राफर को खोज निकालने में सफलता हासिल की।

अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, दीक्षा ने रघुराई सेंटर ऑफ़ फ़ोटोग्राफ़ी से एक साल का डिप्लोमा किया। बाद में, उन्होंने एक पेशेवर फोटोग्राफर के रूप में दो कंपनियों के साथ काम भी किया। यहां उन्होंने ना केवल अपने कौशल को और बेहतर किया बल्कि इसी दौरान दीक्षा का रुझान बच्चों के शूट्स की तरफ बढ़ता चला गया।

आत्मनिर्भर बनने की ज़िद में लिया बड़ा फैसला

साल 2019 के आखिर में दीक्षा ने महसूस किया कि वह नौकरी नहीं करना चाहती हैं। उन्हें हमेशा से कुछ अपना करने की ही ललक थी। यही कारण था कि उत्तराखंड उनके सपनों से ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह पाया। दीक्षा ने फैसला किया कि वह अपने घर जाकर खुद को कुछ काम करेंगी। कुछ इस तरह नवंबर 2019 में दीक्षा ने माता मधु वासन और पिता संजीव कुमार वासन की मदद से अपना काम शुरू किया। इस बात से परहेज नहीं किया जा सकता कि नौकरी में कमाई निश्चित है, अपना काम अनिश्चितताओं से भरा है। ऐसे में यह फैसला दीक्षा के लिए बड़ा था।

साथ रहा परिवार, हर परेशानी को किया पार

दीक्षा को हमेशा से बच्चों से प्यार रहा है। हल्द्वानी लाइव से बात करते हुए दीक्षा बताती हैं कि वो बच्चों से कभी भी परेशान नहीं होतीं। यही कारण भी है कि उन्होंने बेबी शूट्स को ही अपना वर्तमान और भविष्य बनाया है। बहरहाल, ऐसा कोई काम नहीं होता जिसमें अड़चनें ना पैदा हों, यह तो फिर भी बड़ा प्रयास था। काम शुरू करने के कुछ ही महीनों बाद 2020 में कोरोना ने दस्तक दी। मुश्किल यह थी कि ऐसे माहौल में भला कौन अपने बच्चों के शूट्स के लिए मूसीबत मोल लेगा।

दीक्षा बताती हैं कि उनके परिवार ने बचपन से आजतक उन्हें सिर झुकाने नहीं दिया है। विषम से विषम परीस्थितियों में दीक्षा के माता पिता उनके साथ खड़े रहे हैं। यह उनका सहयोग तथा दीक्षा की अपने काम में निपुणता और लगन ही थी कि उन्होंने धीरे धीरे अभिभावकों का दिल जीतना शुरू कर दिया। दीक्षा वासन का कहना है कि वह कोरोना के आने से पहले से सैनिटाइजर का इस्तेमाल करती हैं। काम की मूल प्रक्रिया से उन्होंने कभी खिलवाड़ नहीं किया और तभी मुश्किल वक्त भी हंसी खुशी निकल गया।

क्यों अनोखा है Vasan’s Vision ?

साल 2019 में रुद्रपुर से अपना काम शुरू करने वाली दीक्षा वासन आज इस क्षेत्र की पहली महिला फोटोग्राफर के रूप में विख्यात हैं। ऊधमसिंहनगर क्या उन्हें उत्तर प्रदेश से लेकर नैनीताल जिले में भी काम करने का मौका मिलता रहता है। पंजाब में भी दीक्षा ने काम किया है। दीक्षा के इस प्रयास की सबसे खास बात है कि वह एक लड़की हैं और यह जानते हुए भी कि समाज आज भी कहीं ना कहीं रूढ़ीवादी ढांचे पर खड़ा है, उनके हौसले कभी कम नहीं हुए।

दीक्षा ने लड़की होकर, अपना काम पूरे दिल से करते हुए यह साबित किया है कि बेटियां कुछ भी कर सकती हैं। विशेष बात यह भी है इतने बड़े काम में आजतक उन्होंने किसी का सहयोग नहीं लिया। वह खुद ही पूरी टीम हैं और दीक्षा के बारे में उनके क्लाइंट्स का भी कहना है कि, वह बच्चों को अभिभावकों से भी बेहतर तरह से संभालती हैं।

आगे का विज़न और लड़कियों के लिए संदेश

दीक्षा वासन से जब हल्द्वानी लाइव ने बात की तो उन्होंने आगे के प्लान के बारे में इतना ही कहा कि, “जो अबतक करती आई हूं, उसे ही आगे और बेहतर तरीके से करते रहना है।” हल्द्वानी की पैदाइश होने के कारण दीक्षा कहीं ना कहीं इस शहर की तरफ बेहद आकर्षित रहती हैं। दीक्षा का कहना है कि वह हल्द्वानी में ज्यादा काम करना चाहती हैं। लड़कियों को लेकर समाज के विचारों को बदलने का जिम्मा उठाने वाली दीक्षा ने यह भी कहा कि, “लड़कियां हर कार्य करने के लिए सक्षम हैं। बस जरूरत खुद पर विश्वास करने की है।”

नोट: किसी भी प्रकार के प्रोजेक्ट के संबंध में आप दीक्षा से सोशल मीडिया (Vasan’s Vision) पर जुड़ सकते हैं। अन्य़था इस नंबर 8273320389 पर संपर्क कर सकते हैं।

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