हल्द्वानी: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कुमाऊं दौरे पर हैं। शनिवार को वह हल्द्वानी में आम आदमी पार्टी के कार्यकार्ताओं से मिलेंगे। उससे पहले भवाली स्थित कैंची धाम पहुंचे और नीम करोली बाबा का आर्शीवाद लिया। वहां पहुंचने के बाद उन्होंने मंदिर के इतिहास के बारे में जाना। उन्होंने मंदिर में पूजा- अर्चना के बाद कहा कि इससे पहले उन्हें इतना सुखद अनुभव कभी नहीं हुआ। मनीष सिसोदिया के कैंची धाम पहुंचने से पहले आप कार्यकर्ताओं का हुजुम पहले से मौजूद था। कुमाऊं के विभिन्न हिस्सों से कार्यकर्ता मनीष सिसोदिया का स्वागत करने के लिए पहुंचे थे। इस बीच मंदिर परिसर व आसपास काफी भीड़ भी हो गई थी।
दर्शन करने के बाद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उत्तराखंड की बदहाली के लिए भाजपा और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि दोनों ही दलों ने वोट व सत्ता के लिए उत्तराखंड की भोलीभाली जनता का उपयोग किया। पिछले 20 सालों से उत्तराखंड के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए लड़ रहे हैं और यह लोग इसे विकास कहते हैं। उत्तराखंड का निर्माण पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिए हुआ था लेकिन शिक्षा और हेल्थ सुविधाओं में कोई बदलाव नहीं हुआ। नतीजा कम संसाधन होने के वजह से लोगों को पलायन करना पड़ा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए जो कार्य करना चाहता है उसे आम आदमी पार्टी अपनी टीम में शामिल करेगी।
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मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम दिल्ली की तर्ज पर उत्तराखंड में शिक्षा और मेडिकल व्यवस्थाओं को बेहतर करेंगे। हमारा युवा शिक्षित और स्वस्थ्य होगा तो कोई भी ताकत उत्तराखंड को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती है। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष एसएस कलेर, प्रदेश उपाध्यक्ष शिशुपाल रावत, अमित जोशी, प्रदीप दुम्का, त्रिलोक जोशी, मयंक शर्मा, कमल दुर्गापाल, देवेंद्र कुमार, संदीप भटनागर आदि मौजूद रहे।
बता दें कि आम आदमी पार्टी ने 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में सभी सीटों पर उतरने का फैसला किया है। फिलहाल आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता उत्तराखंड के दौरे पर हैं और परिस्थितियों को जान रहे हैं। आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में पानी और बिजली में जनता को दिल्ली की तरह छूट देने की बात कर रही है। चुनाव में अभी वक्त है लेकिन विधानसभा चुनाव की राह आम आदमी पार्टी के लिए बिल्कुल अलग है क्योंकि मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों को एक दूसरे से जोड़ पाना दिल्ली जितना आसान नहीं रहने वाला है। इसके अलावा उत्तराखंड का भौगोलिक स्थिति दिल्ली से काफी भिन्न है।