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उत्तराखंड शिक्षा विभाग को 24 साल से लगा रहा था चूना, ऐसे पकड़ में आया फर्जी शिक्षक


Fraud Teacher Fired: Forged Doccuments Case: Fake Doccuments:

नकली रिजल्ट और सर्टिफिकेट के कारण अब तक नजाने कितने जीवन तहस नहस हो चुके हैं। अच्छी नौकरी लेने के लिए फर्जीवाड़े के इस हथकंडे को अपनाया जाता है। ऐसा करके नौकरी से ज्यादा फर्जीवाड़े का सहारा लेने वाले के हिस्से में पकडे़ जाने का डर ज्यादा आता है। सोचिए अगर कोई नकली प्रमाण पात्र और रिजल्ट बनाकर शिक्षक बन जाए और आपके बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने लगे, तो क्या आप यह सहन कर पाएंगे? इस सवाल का जवाब स्पष्ट रूप से ना ही होगा। ( Fraud teacher dismissed )

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शिक्षा अधिकारी ने किया बर्खास्त

बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर पिछले 24 सालों से नकली दस्तावेजों के सहारे नौकरी कर रहे शिक्षक को बर्खास्त कर दिया गया है। यह किस्सा राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामजीवनपुर का है। जहाँ जसपुर निवासी हरगोविंद सिंह पिछले 24 सालों से नकली दस्तावेजों के सहारे नौकरी कर रहा था। दरअसल हरगोविंद की तैनाती सहायक अध्यापक के रूप में इस विद्यालय में उसके पिता की मृत्यु के बाद वर्ष 2000 में हुई थी। यह नौकरी पाने के लिए हरगोविंद ने हाईस्कूल, इंटर और अदीब, कामिल जामिया उर्दू अलीगढ़ के प्रमाण पत्र लगाए थे। इस फर्जीवाड़े के सामने आते ही जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक शिक्षा हरेंद्र कुमार मिश्र ने उत्तराखंड सरकारी सेवक नियमावली 2003 के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया है। ( Fraud teacher caught after 24 years )

हजारों बच्चों के भविष्य के साथ किया खिलवाड़

बर्खास्त करने के साथ बीती 14 मई को बर्खास्तगी के आदेश की प्रति फर्जी शिक्षक को भेज दी गई है। लेकिन सोचने की बात यह है कि अपना घर चलाने के लिए क्या कोई इतना नीचे गिर सकता है कि झूठ की बुनियाद पर सैकड़ों घरों का भविष्य बर्बाद कर दे? जी हाँ, हिसाब लगाया जाए तो 2000 से अब तक हरगोबिंद सिंह सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर चुका है। गुरु की मान्यता और परंपरा पर फर्जी ठप्पा लगाने वाले ऐसे फर्जी शिक्षकों के कारण ही व्यवस्था पर सवाल उठते हैं। ( Fraud teacher case in Uttarakhand )

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