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उत्तराखंड में बनेगा जीआई बोर्ड, देवभूमि के उत्पादों की नही होगी नकल

देहरादून: बुधवार को केन्द्रीय उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, भारत सरकार के महानियंत्रक डा0 उन्नत पी0 पण्डित ने प्रदेश के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर कृषि मंत्री ने डा0 पंडित और उनकी टीम को उत्तराखण्ड में निर्मित जैविक उत्पाद भेंट किये।


मंत्री ने बताया कि सरकार द्वारा तोर, झिंगोरा, काला भट्ट को भी नयी पहचान दिलाने के लिए विशिष्ट कार्य किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि हम श्रीअन्न के उत्पादन के लिए ऐसी कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं जिससे ग्रामीण आजीविका को अधिक से अधिक लाभ हो। उन्होंने 13 से 16 मई तक देहरादून में आयोजित होने वाले श्रीअन्न महोत्सव के बारे में भी डा0 पंड़ित को बताया।


मुलाकात के दौरान जीआई बोर्ड के महानियंत्रक डा0 उन्नत पी0 पण्डित ने कृषि मंत्री का धन्यवाद किया कि उत्तराखण्ड में जीआई बोर्ड की गठन की प्रक्रिया गतिमान है और गठित होने पर यह देश का पहला बोर्ड बनेगा।

उन्होंने बेरीनाग चाय के प्लाटिंग मेटेरियल और सीड्स को अन्यत्र न भेजने के लिए भी सुझाव दिये। उन्होनें यह भी सुझाव दिया कि उत्तराखण्ड जैविक उत्पाद परिषद को डीआरडीओ के साथ मिलकर मिलेट्स का एक ऐसा कैक या बार बनाना चाहिए, जो बार्डर में सैनिकों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं के लिए उपयोगी हो।


विदित हो कि प्रदेश में ‘वोकल फार लोकल‘ नारे को धरातल पर मूर्त रूप देने के लिए प्रयास तेज कर दिये है। इस कड़ी में राज्य के 13 कृषि उत्पाद (उत्तराखण्ड लाल चावल, बेरीनाग, उत्तराखण्ड चाय, उत्तराखण्ड गहत, उत्तराखण्ड मण्डुआ, उत्तराखण्ड झंगोरा, उत्तराखण्ड बुरांस सरबत, उत्तराखण्ड काला भट्ट, उत्तराखण्ड चौलाई/रामदाना, अल्मोड़ा लाखोरी मिर्च, उत्तराखण्ड पहाड़ी तोर दाल, उत्तराखण्ड माल्टा फ्रूट, रामनगर नैनीताल लींची तथा रामगढ़ नैनीताल आडू) तथा 5 हैण्डीक्राफ्ट उत्पाद सहित कुल 18 उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने के उद्देश्य से इनका भौगोलिक संकेतांक (जीआई) टैग प्राप्त करने की प्रक्रिया अन्तिम दौर में पहुंच गयी है। कृषि विभाग की ओर से उत्तराखण्ड जैविक उत्पाद परिषद द्वारा प्रदेश के 13 कृषि उत्पादों तथा उद्योग विभाग द्वारा 5 हैण्डीक्राफ्ट उत्पादों का जीआई टैग प्राप्त करने हेतु आवेदन केन्द्रीय उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, भारत सरकार को किया गया था।

केंद्र के स्तर पर आवेदनों का पंजीकरण करने के उपरान्त आवेदनों का गहन परीक्षण किया गया। अब केन्द्रीय उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, भारत सरकार के महानियंत्रक (पेटेंट, डिजाइन एवं ट्रेडमार्क) डॉ0 (प्रो0) उन्नत पी0 पण्डित सहित जीआई रजिस्ट्री कार्यालय, चेन्नई के अधिकारी एवं विषय विशेषज्ञ आवेदनों की सत्यतता (सुनवाई) की जांच हेतु स्वयं उत्तराखण्ड में दिनांक 11-12 मई, 2023 को उपस्थित रहेंगे। सुनवाई के दौरान प्रदेश के विभिन्न जनपदों (टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली, अल्मोड़ा, नैनीताल) के उत्पाद से सम्बन्धित कृषक प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इन उत्पादों को जीआई टैग हासिल हो जाएगा।

इससे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग होने से यहां के किसानों तथा बुनकरों को इन उत्पादों के बेहतर दाम मिल सकेंगे। विदित है कि प्रदेश में वर्ष 2016 में तेजपत्ता को पहला जीआई टैग प्राप्त हुआ है। इसके बाद तेजपत्ता की मांग बढ़ी और सरकार ने इसके उत्पादन के लिए किसानों को प्रेरित किया। गत वर्ष सितंबर में यहां के सात उत्पादों के यह टैग मिला, जिसमें कृषि श्रेणी का उत्पाद मुनस्यारी, राजमा भी शामिल है।
इस अवसर पर कार्यक्रम में जैविक उत्पाद परिषद के प्रबन्ध निदेशक श्री विनय कुमार, लक्ष्मीकांत, आईडी भट्ट, प्रशांत, शिवा कुमार आदि उपस्थित रहे।

जीआई टैग क्या है – जीआई टैग के माध्यम से किसी विशेष उत्पाद को भौगोलिक पहचान दी जाती है। यह इस बात की सुरक्षा देता है कि जो उत्पाद जिस भौगोलिक क्षेत्र में पैदा होता है, उसकी नकल अन्य कोई व्यक्ति, संस्था अथवा देश नहीें कर सकता है।

केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग जीआई टैग जारी करता है। जिस भौगोलिक क्षेत्र में जिस उत्पाद की उत्पति हुई है, उसका जीआई टैग लेने को वहां की कोई संस्था, सोसाइटी, विभाग व एफपीओ आवेदन कर सकता है। गहन परीक्षण के बाद ही टैग जारी किया जाता है।

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