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उत्तराखंड के सरकारी हॉस्पिटल का कारनामा,युवाओं को पकड़ा दी फर्जी कोरोना रिपोर्ट,मुकदमा दर्ज


रामनगर: कोरोना से बचना आसान है, अगर कोई फर्जी नेगेटिव रिपोर्ट तैयार कर के दे रहा हो, फिर तो वाकई आसान है। दरअसल कोटद्वार में सेना भर्ती के लिए सभी युवाओं को कोविड-19 जांच की नेगेटिव रिपोर्ट अपने साथ लाने को कहा गया था। बिना इसके अभ्यर्थी भर्ती में शामिल नहीं हो सकते, ऐसे आदेश थे।

अब रामनगर के अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा पांच सौ रुपए ले कर कोरोना की नेगेटिव जांच रिपोर्ट बनाने का मामला सामने आया है। सेना भर्ती में जाने वाले कुछ युवाओं से यह पैसे लिए गए। रिपोर्ट में कोरोना के नोडल अधिकारी के दस्तखत और मुहर भी फर्जी हैं।

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बता दें कि 28 दिसंबर को करीब 100 से ज़्यादा युवाओं को सेना भर्ती के लिए कोटद्वार जाना था। पीरूमदारा क्षेत्र स्थित यूथ फाउंडेशन कैंप में सेना भर्ती के लिए निशुल्क ट्रेनिंग दी जाती है। आदेश थे कि सभी युवा कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट ले कर हगी यहां पहुंचेंगे। जिसके बाद कुछ स्थानीय युवा रामनगर के सरकारी हॉस्पिटल जा पहुंचे।

जहां अस्पताल कर्मचारियों ने बिना जांच किए उन्हें रैपिड एंटीजन टेस्ट की फर्जी निगेटिव रिपोर्ट दे दी। बाद में युवाओं ने अपने ट्रेनर को इस फर्जीवाड़े की जानकारी दी और कर्मचारियों पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने युवाओं से 500 रुपए प्रति रिपोर्ट लिए थे।

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फिर बात भाजपा नेता गणेश रावत तक पहुंची तो नोडल अधिकारी डॉ. प्रशांत कौशिक को रिपोर्ट दिखाई गई तो उन्होंने बताया कि रिपोर्ट और इस पर लगी मोहर, दोनों ही फर्जी हैं। बाद में यह भी पता चला कि जांच को कोविड केयर सेंटर में होती है, ना कि रामनगर के इस सरकारी अस्पताल में।

इसके बाद युवाओं ने सोमवार को अस्पताल का घेराव कर नारेबाज़ी का भी एलान किया। रामनगर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मणिभूषण पंत का कहना है कि मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जानकारी के अनुसार अब तक एक लैब कर्मी के खिलाफ मुकदमा दर्ज भी किया जा चुका है।

रामनगर अस्पताल के प्रबंधक राकेश बाटर द्वारा कोतवाली में सौंपी गई तहरीर के आधार पर आरोपी लैब कर्मचारी के खिलाफ कोरोना की फर्जी रिपोर्ट बनाने में जालसाजी का केस दर्ज हुआ है। पुलिस मामले की जांच पड़ताल में जुटी है। एसडीएम विजयनाथ शुक्ल का कहना है कि पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। मामले की जांच पड़ताल की जाएगी।

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