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हल्द्वानी के बेटे दिव्यम का लाल बहादुर शास्त्री क्रिकेट एकेडमी में चयन


हल्द्वानी: क्रिकेट को लेकर उत्तराखण्ड में उत्साह देखने को मिलता है। भारत में क्रिकेट को धर्म की तरह पूजा जाता है और ये उसका ही नतीजा है। उत्तराखण्ड हमेशा से ही युवा प्रतिभाओं का धनी रहा है। राज्य को बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त नहीं है फिर भी युवा क्रिकेट के मैदान पर चमक रहा है। कोई भी प्रतियोगिता हो उत्तराखण्ड की प्रतिभा अपने नाम को चमकाते हुए आगे बढ़ रही है। इस क्रम है हल्द्वानी के दो युवाओं का चयन भारत की मशहूर क्रिकेट एकेडमी लाल बहादुर एकेडमी दिल्ली में हुआ है।

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जीं हां ये वही क्रिकेट एकेडमी है जिसके कोच का नाम डॉक्टर संजय भारद्वाज है। ये वही संजय भारद्वाज जी जिन्होंने देश को गौतम गंभीर जैसा खिलाड़ी दिया जिसनें देश को दो शानदार (वर्ल्ड टी-20 और वर्ल्ड कप 2011) यादे दी। वहीं गौतम गंभीर जिसके नाम टेस्ट में लगातार 5 शतक है। वहीं गौतम गंभीर जो आईपीएल में कोलकाता को दो बार चैंपियन बना चुका है। ये लिस्ट यही खत्म नहीं होती है। इसके अलावा  नितिश राणा, उन्मुक्त चंद, आर्यन जुयाल और मनजोत कालरा उनके ही शिष्य है। जिन्हें लोग भारतीय टीम का भविष्य बोलते हैं।

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इस लिस्ट में हल्द्वानी नरसिंह क्रिकेट एकेडमी के दिव्यम रावत का नाम भी जुड़ गया है। 14 साल के दिव्यम में हाल में ही लाल बहादुर एकेडमी दिल्ली में ट्रायल दिया था जिसमें वो कोच डॉक्टर संजय भारद्वाज को प्रभावित करने में कामयाब हुए थे। दिव्यम अपने चयन के बाद खासा खुश है।

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मैने बचपन से क्रिकेटर बनने का सपना देखा और मैं उसके लिए किसी भी तरह का परिश्रम करने के लिए तैयार हूं। बता दें कि दिव्यम आर्यमान विक्रम बिरला के छात्रा और 10वीं में पढ़ते हैं। दिव्यम के पिता प्रयाग सिंह रावत प्रधानाचार्य है और मां राजेंद्री रावत अध्यापक है।

पिता के साथ दिव्यम

 दिव्यम के चयन के बाद घर में खुशी का माहौल है। पिता प्रयाग सिंह रावत ने बताया कि उन्हें खुशी है कि दिव्यम ने छोटी उम्र में ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर दिया। हम उसे हमेशा सपोर्ट करते रहेंगे और उम्मीद है कि वो अपने परिश्रम से आगे जाएगा। वहीं मां राजेंद्री रावत कहती हैं कि बेटे का चयन खुशी जरूर देता है लेकिन अगर राज्य में क्रिकेट को बीसीसीआई से मान्यता होती तो दिव्यम राज्य में ही अभ्यास कर सकता था। उन्होंने बताया कि 10 साल की उम्र में दिव्यम ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था।

मां के साथ दिव्यम

बता दें कि दिव्यम की दो बहने है। अंकिता रावत जो कि बैकिंग की कोचिंग कर रही है तो दूसरी बहन  उदिता दिल्ली विश्वविद्यालय से बीएसएसी कर रही है। दिव्यम ने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने परिवार को दिया। उन्होंने अपने कज़न भाई अजय सिंह रौतेला का जिक्र करते हुए कहा कि अगर दद्दा नहीं होता तो शायद में दिल्ली नहीं जा पता। उसने बचपन से ही मेरे खेल को देखा और सपोर्ट करा। शहर के बाहर कोई भी प्रतियोगिता होती तो वो मुझे लेकर जाता था। 

दिव्यम हल्द्वानी डहरिया स्थित नरसिंह क्रिकेट एकेडमी में अभ्यास करते है। नरसिंह क्रिकेट एकेडमी के कोच एसएस कपकोटी कहते है कि दिव्यम अपने खेल के लिए काफी गंभीर रहा है। उसमें काफी प्रतिभा है। मुझे खुशी है कि वो छोटी सी उम्र से ही अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।

कोच एसएस कपकोटी के साथ दिव्यम

कोच एसएस कपकोटी ने बताया कि ट्रायल के लिए एकेडमी से 5 खिलाड़ी गए थे जिसमें से दो का चयन युवा है। दिव्यम के अलावा एकेडमी के रुद्रांश का भी लाल बहादुर एकेडमी के लिए चयन हुआ है। उन्होंने कहा कि दिव्यम का खेल देखने वालों को प्रभावित करता है लेकिन उसे काफी सुधार की जरूरत है और  वो इसे समझता हैं।

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