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दिल्ली में चमक बिखेरेगा लोहाघाट का लोहा


लोहाघाट : प्राचीन काल से ही लौह इस्पात के लिए मशहूर लोहाघाट की चमक अब पूरे भारत में बिखरने लगी है। लोहाघाट का लोहा अब दिल्ली, चंड़ीगढ़, महाराष्ट्र, लखनऊ और देहरादून सहित अन्य राज्य के लोगों को भी खूब भाने लगा है। बीते माह दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित इंडिया इंटर नेशनल ट्रेड फेयर मेले में लोहाघाट से पहुंचे लोह उद्योग के व्यवसायी अमित कुमार ने लोहे के 200 तवे व 400 कढ़ाइयां बेची। अमित बताते हैं एक बार स्टाल लगाया तो दूसरी बार वहां के लोग खुद ही लोहाघाट के लोहे के ढूंढते-ढूंढते पहुंच जाते हैं।

दिल्ली में आयोजित मेले के दौरान राज्य ग्रामीण विकास मंत्री भारत सरकार राम कृपाल यादव, भारत सरकार के ग्रामीण विकास सचिव अमर जीत सिन्हा, देहरादून से पहुंचे महानिदेशक उद्योग विभाग सुधीर चंद्र नौटियाल सहित अन्य लोगों ने इन कढ़ाइयों की बनावट को खूब सराहा। अमित को वहां अतिथियों ने पुरानी चीजों को सजोकर रखने के लिए सम्मानित भी किया गया। इसके अलावा बीते छह से 17 अक्टूबर तक देहरादून के परेड ग्राउंड में आयोजित हिमान्या सरस मेले में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने भी लोहे के कढ़ाइयों व तवे की तारीफ की थी ।

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चार पीढि़यों से हो रहा लोहे का कारोबारनगर से डेढ़ किमी दूर राइकोट गांव में लोहे का व्यवसाय कर रहे 25 वर्षीय अमित कुमार बताते है कि चार पीढि़यों से वह लोग केवल लोह का व्यवसाय कर रहे हैं। इसमें उन्होंने अपने घर के आसपास के ही पांच अन्य लोगों को भी रोजगार दिया है। वर्तमान में विभिन्न राज्यों से उनके द्वारा तैयार लोहे की डिमांड बढ़ रही है। जिसके लिए वह क्षेत्र के अन्य लोगों को भी रोजगार से जोडेंगे।

 

लोहे की कढ़ाई व तवा तैयार करने के लिए सबसे पहले भट्टी को गर्म कर तपाया जाता है। जिसके बाद लोहे के साचें को इतना गर्म किया जाता है कि वह पूरी तरह लाल हो जाता है। जिसके बाद कढ़ाई के सांचे पर उसकों रखकर तीन चार लोग मिलकर लोहे के घन से सीट को पीट-पीट कर कढ़ाई व तवा के सांचे पर लाया जाता है।

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