National News

राजस्थान की बहनों की जोड़ी का कमाल, “जिद्दी” ने बचाई विलुप्त होती लोक कला

नई दिल्ली: मंजिल चाहे कितनी भी ऊंचाई पर क्यों ना हो जो जमीन से जुड़े रहते हैं वो पेड़ हमेशा हरे रहते हैं। आज की ये कहानी बहनों की एक ऐसी जोड़ी के बारे में है जिनकी जिद्दी सोच ने एक लोक कला को नया जन्म दिया।

राजस्थान राज्य हमेशा से ही अपनी रंगीन वेशभूषा, संस्कृति और कहानियों के लिए देश भर में जाना जाता है। राजस्थान की लोक कला और शिल्प इतनी समृद्ध है कि उसका कोई मुकाबला ही नहीं। इसी बात को समझते हुए राजस्थान की दो बहनों ने अपने बिजनेस की नींव रखी और “जिद्दी” नाम के अनोखे बिजनेस आइडिया को खोज निकाला। “जिद्दी” राजस्थान की एक अनोखी लोक कला पटवा के संरक्षण के लिए दो बहनों द्वारा की गई एक अनोखी पहल को ही नहीं बल्कि प्रेम और लगाव को भी दर्शाता है।

क्या है पटवा लोक कला ?

पश्चिमी राजस्थान के आदिवासी जनजाति में प्रचलित पटवा लोक कला एक प्रकार की रंगाई की कला है जिसमें धागों से किए गए शिल्प को रंगा जाता है। “पटवा” शब्द हिंदी के शब्द “पैट” से लिया गया है, जिसका अर्थ है रेशम। ये शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो रेशम और सूती धागे का काम करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पटवा का प्रादुर्भाव भगवान विष्णु के हृदय से हुआ था। भगवान विष्णु के आदेश अनुसार पटवा लोग पुराने वक्त में रेशम के धागे से आभूषण बनाया करते थे। फिर जैसे जैसे मशीनीकरण का युग आया तो पटवा से जुड़े लोगों को जीवन यापन के नए तरीके खोजने पड़े। आज के वक्त में सिर्फ कुछ ही परिवार ऐसे है जो इस लोक कला से अभी भी जुड़े हुए हैं। ऐसे में “जिद्दी” कंपनी राजस्थान की इस शिल्प कला को बचाने की हरसंभव कोशिशों में लगी हुई है।

“जिद्दी” से जुड़ी बहनों की जोड़ी

बता दिया जाए कि Shopziddi Crafts Private Limited की स्थापना 21 जनवरी, 2020 को हुई थी। यह एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है जिसका मुख्यालय दिल्ली में है। “जिद्दी” की शुरुवात दो बहनों की जोड़ी पल्लवी और मालविका लालवानी ने दिल्ली से की थी। दोनों बहनों की पारिवारिक जड़ें राजस्थान के बाड़मेर जिले से जुड़ी हैं जहां ये लोक कला काफी प्रचलित है, पर इसके संरक्षण के लिए शायद ही कभी कोई बेहतर कदम उठाया गया हो। इस अद्भुत कला को विलुप्त होने से बचाने के लिए “जिद्दी” की शुरुवात की गई।

कंपनी के लोग कारीगरों के साथ सहयोग करके पटवा शिल्प को सीखते हैं और नए वक्त के अनुसार इसमें बदलाव कर नई बुनाई का निर्माण करते हैं। इस काम में पल्लवी आकार, सामान और जगह की अपनी समझ का इस्तेमाल करती है जबकि निफ्ट की पूर्व छात्रा मालविका अपनी डिजाइन विशेषज्ञता का उपयोग कर उसे आज के वक्त के अनुसार डिजाइन करती है। दोनों बहनों की जिद्दी सोच में राजस्थान के रंगों, पारंपरिक कलाओं और प्राचीन वस्तुओं से प्रेरणा ले कर उसे अपनी रचनात्मक प्रतिभाओं के साथ जोड़ने का हुनर बखूबी नजर आता है।

“ज़िद्दी” की एक्सेसरीज कलेक्शन

“ज़िद्दी” ओढ़नी, सिरैमिक नेकलेस, बन स्टिक्स, चोकर्स और पर्स (स्कार्फ) सहित कई एक्सेसरीज प्रदान करता है।”ज़िद्दी” का कलेक्शन चार संग्रह में लोगों के बीच रखा गया है। “ज़ार” में सोने के हार, अंगूठियां और कान कफ पाए जा सकते हैं जबकि “सिवाना” में जीवंत थ्रेडवर्क और जनजातीय पैटर्न देखने को मिलते हैं। “टाइमलेस थ्रेड्स” नाम के कलेक्शन में जटिल धागे का उपयोग जटिल पटंडियां और झुमके बनाने के लिए किया जाता है।यही नहीं जिद्दी के सबसे अनोखे “चुस्की” कलेक्शन में रखे गए एक्सेसरीज के रंग भारतीय गर्मियों में मिलने वाले चुस्कियों और गोला (आइस पॉप) के रंगों से प्रेरित होकर बनाए गए हैं।

To Top