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आपको मान गए प्रधान साहिबा,देहरादून के छोटे से गांव की तस्वीर बदल कर दिलाई देशभर में पहचान

मसूरी: किसी भी गांव का मुखिया अगर अच्छा हो तो गांव विकास की ओर बढ़ेगा। अगर ये मुखिया एक महिला हो तो विकास की गति चौगुनी हो जाएगी। ऐसी ही कहानी बयान कर रही हैं मसूरी के पास बसे गांव क्यारकुली-भट्ठा की तस्वीरें। दो साल पहले ग्राम प्रधान बनने के बाद कौशल्या देवी ने इस गांव में सबकुछ अच्छे के लिए बदल दिया है। ये गांव ना सिर्फ राष्ट्रीय पटल पर फेमस है बल्कि सभी गांवों के लिए एक मिसाल है।

कहानी साल 2006 से शुरू होती है जब कौशल्या देवी शादी कर क्यारकुली आईं। हमेशा से पर्यावरण व स्वच्छता प्रेमी रही कौशल्या का विजन बहुत बड़ा था। मसूरी पोस्ट ग्रेजुएट कालेज से स्नातक के बाद कौशल्या ने ठान लिया कि उन्हें अपने गांव के लिए कुछ करना है। फिर क्या था उन्होंने शुरुआत ग्रामीणो को जागरुक करने से कर दी।

दून से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर मसूरी के पास बसे क्यारकुली-भट्ठा गांव में कौशल्या की पहल कुछ खास रंग नहीं ला रही थी। इसलिए उन्होंने वर्ष 2019 में ग्राम प्रधान के चुनाव में उतरने का फैसला किया। जिसमें सामान्य वर्ग की सीट से तीन पुरुष और एक महिला को हरा कर कौशल्या देवी को जनता ने ग्राम प्रधान बना दिया।

इसके बाद कौशल्या ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अबतक वह बतौर प्रधान पर्यावरण संरक्षण, शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने और स्वच्छता में व्यापक स्तर पर कार्य कर चुकी हैं। ढाई साल के कार्यकाल में गांव की बिजली-पानी का मुद्दा खत्म हो गया है। स्वच्छता व पर्यावरण संरक्षण की बात करें तो गांव अव्वल है।

इतना ही नहीं गांव की सभी नालियां अंडरग्राउंड हैं और हर घर में शौचालय है। आंगनबाड़ी-स्कूलों आदि में भी बिजली-पानी की समुचित व्यवस्था है। अब गां वालों को पानी के लिए टैंकरों का इंतजार नहीं करना पड़ता। इसके अलावा पर्यटन के लिहाज से भी गांव में काफी अच्छे काम हुए हैं। गांव की प्रधान कौशल्या रावत ने बताया कि प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण इस गांव में 35 होम स्टे हैं। जिससे स्वरोजगार की संभावनाएं बढ़ी हैं।

कौशल्या रावत बताती हैं कि उन्होंने 10 लाख की निधि में से ढाई लाख रुपये पेयजल व्यवस्था को ठीक करने के लिए लगाए जबकि साढ़े सात लाख रुपये स्वच्छता के ऊपर खर्च किए। वेस्ट मैनेजमेंट के साथ ग्रामीणों को पर्यावरण संरक्षण का असल मतलब भी मालूम है। ग्रामीणों ने करीब 22 हजार पौधे रोपे हैं। हाल ही में 340 परिवारों के इस गांव की उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कौशल्या देवी सराहना की है। वाकई ग्राम प्रधान हो तो कौशल्या देवी जैसा/जैसी हो।

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