हल्द्वानी: कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षा के मामलों में उत्तराखंड की पहचान है। कुमाऊं विवि और यहां से शिक्षा लेने वाले विद्यार्थी देश और देश के बाहर बी हमेशा ही अपना नाम उंचा करते आए हैं। हाल ही में एशिया के विश्वविद्यालयों की जारी हुई रैंकिंग के अनुसार भी हमारा विवि बहुत ऊंचा स्थान रखता है। दरअसल कुमाऊं विश्वविद्यालय को एशिया विश्वविद्यालय रैंकिंग में 551-600 और देश के विश्वविद्यालयों में 81-85 स्थान की रैंकिंग प्राप्त हुई है, जो कि एक बहुत बड़ी उपलब्धि बताई जा रही है।
बता दें कि विश्वविद्यालयों की इस रैंकिंग को क्वैकारेल्ली सिमोंड्स, वैश्विक उच्च शिक्षा थिंक-टैंक और दुनिया के सबसे बड़े परामर्श विश्वविद्यालय रैंकिंग पोर्टफोलियो के संकलक ने जारी किया है। इसलिए कुमाऊं विवि का इतना स्थान पाना खासा अच्छा माना जा रहा है।
रैंकिंग बनाने की प्रक्रिया पर नज़र डाले तो क्यूएस द्वारा 11 मापदंडों के आधार पर विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन की तुलना की गयी। जिनमें मुख्य तौर पर वेब उपस्थिति, परिसर में अंतर्राष्ट्रीयकरण, शैक्षिक स्थिति, स्नातक रोजगार, अनुसंधान गुणवत्ता, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क और प्रत्येक संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की विविधता पर ध्यान दिया गया।
23 नवंबर को जारी एशिया-विशिष्ट संस्करण के लिए, क्यूएस द्वारा तुलना की गई थी। कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा कुलपति प्रो. एनके जोशी के नेतृत्व में राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार के लिए शैक्षणिक गुणवत्ता, शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में बेहतर किया जा रहा है।
कुलपति प्रो. जोशी ने प्राध्यापकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी। वाइस चांसलर ने कहा कि विवि को सृजनात्मकता, उद्यमिता, नवाचार, शोध एवं अनुसंधान का महत्वपूर्ण केंद्र बनाना है।
प्रोफेसर के अनुसार भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनुसंधान एवं विकास को ध्यान में रखते हुए विव को कार्य करने होंगे। कुलपति ने कहा कि देश के विकास के लिए जरूरी कोई भी पक्ष हो, वह नवीकरणीय ऊर्जा का क्षेत्र हो, धर्म और दर्शन का क्षेत्र हो, अंतरिक्ष से जुड़ी बातें हों, शिक्षा या समाज से जुड़ी संकल्पनाएं हों। जब तक सभी क्षेत्रों में शोध को महत्व नहीं दिया जाएगा तब तक एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण हो सकना मुश्किल है।