
नई दिल्ली: उत्तराखंड भाजपा में एक बार फिर से नेतृत्व को लेकर हलचल तेज हो गई है। हालांकि, अब तस्वीर काफी हद तक साफ हो चुकी है। महेंद्र भट्ट का दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है, क्योंकि नामांकन प्रक्रिया में सिर्फ उन्हीं का नाम सामने आया है। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। एक सामने आई तस्वीर ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि उत्तराखंड भाजपा की कमान अब पूरी तरह से मुख्यमंत्री धामी के हाथ में है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि मुख्यमंत्री धामी ने 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। जहां कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल सत्ता परिवर्तन की आस लगाए बैठे थे ताकि अपने लिए नया चुनावी नैरेटिव तैयार कर सकें, वहीं भाजपा के भीतर भी कुछ गुट दिल्ली में बदलाव की उम्मीद लगाए बैठे थे। यही कारण है कि दिल्ली दौरों की चर्चाएं सोशल मीडिया पर खूब गर्म रहीं।
उत्तराखंड भाजपा की राजनीति में जातीय संतुलन का एक स्थापित फॉर्मूला है—यदि प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण होता है, तो मुख्यमंत्री राजपूत समुदाय से होता है। ऐसे में महेंद्र भट्ट की दोबारा ताजपोशी से यह समीकरण बरकरार रहेगा और पुष्कर सिंह धामी की नेतृत्व क्षमता पर मुहर लगती है।
धामी ने बिना शोर-शराबे के, पूरी चुप्पी के साथ अपना दांव खेला और महेंद्र भट्ट का नाम आगे बढ़ाकर पूरी रणनीति को अपने पक्ष में मोड़ दिया। यह स्पष्ट संकेत है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व—दिल्ली—धामी के प्रदर्शन से संतुष्ट है और उनकी राय को तवज्जो दी जा रही है।
महेंद्र भट्ट की पुनर्नियुक्ति न सिर्फ धामी की पसंद को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि उनके निर्णय अब पूरे संगठन में प्रभावी हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी विभिन्न मंचों से धामी की कार्यशैली और नेतृत्व की सराहना कर चुके हैं। इससे यह साफ हो जाता है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की नजर में पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में पार्टी का सबसे भरोसेमंद चेहरा बन चुके हैं।
संक्षेप में कहें तो, धामी को साइडलाइन नहीं किया जा सकता है। 2022 में भाजपा को दोबारा जीत दिलाकर जो इतिहास उन्होंने रचा था वो दिल्ली को याद है। दूसरी तरफ ये इशारा भी मिलता नजर आ रहा है कि धामी के नेतृत्व में ही भाजपा 2027 की राह पर कदम बढ़ा चुकी है। लेकिन ये भाजपा है चुनाव से पहले या चुनाव के बाद क्या फैसला कर दें, इस पर दांव लगाना भी काफी कठिन है।

